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पथ संचलन में दिखा शक्ति, संगठन और राष्ट्रभक्ति का संगम

भीलवाड़ा में राष्ट्र सेविका समिति का पथ संचलन संघ शताब्दी वर्ष एवं स्थापना दिवस पर शक्ति का प्रदर्शन

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The march showcased a confluence of strength, organisation and patriotism.

The march showcased a confluence of strength, organisation and patriotism.

राष्ट्र सेविका समिति के स्थापना दिवस व संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विजयादशमी पर गुरुवार को नगर में पथ संचलन निकाला गया। मातृशक्ति ने घोष और ताल की लय पर कदम से कदम मिलाते हुए शक्ति, संगठन और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।

राजेन्द्र मार्ग विद्यालय से शुरू हुआ पथ संचलन संकट मोचन हनुमान मंदिर, गोल प्याऊ, रेलवे स्टेशन, झूलेलाल सर्किल, आजाद चौक, प्रताप टाकिज, मिनी मॉल सूचना केंद्र, भोपाल क्लब, भींमगंज थाना, आयुर्वेदिक अस्पताल, फतेह टावर, सिटी कोतवाली होते हुए पुन: विद्यालय पहुंच संपन्न हुआ। 712 सेविकाओं ने विभिन्न वाहिनियों में भाग लिया। पांच साल की बालिकाओं से लेकर 80 वर्ष की प्रौढ़ सेविकाओं का उत्साह देखने योग्य रहा।

समिति की अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख एवं वायव्य क्षेत्र कार्यवाहिका वंदना वजीरानी ने मातृशक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि नारी अबला नहीं, सबला है। भारत की रक्षा करना हर भारतीय का परम कर्तव्य है। मुसीबत आने पर हर स्त्री को झांसी की रानी व लक्ष्मीबाई की तरह अग्रसर होना चाहिए।

स्वागत में हुई पुष्पवृष्टि

पथ संचलन का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। लघु उद्योग भारती, शिक्षक संघ, सक्षम, विद्या भारती, सहकार भारती, हिन्दू जागरण मंच, दुर्गा वाहिनी, विश्व हिंदू परिषद, दुर्गा शक्ति अखाड़ा, भारत विकास परिषद, वनवासी कल्याण, भाजपा महिला मोर्चा ने सेविकाओं का अभिनंदन किया।

शस्त्र पूजन और शाखा उद्बोधन

संचलन से पूर्व दोपहर 2 बजे शाखा और उद्बोधन का आयोजन हुआ। मंच पर अखिल भारतीय व्यवस्था प्रमुख वंदना वजीरानी एवं अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा भीलवाड़ा कल्पना शर्मा तथा चित्तौड़ प्रांत बौद्धिक प्रमुख सुशीला पारीक उपस्थित रही। शर्मा ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साथ लेकर चलने का संदेश दिया। बाद में शस्त्र पूजन भी किया गया।

आकर्षण का केंद्र बनी बाइक रैली

पथ संचलन की शुरुआत बाइक सवार मातृशक्ति ने हाथों में भगवा ध्वज लेकर की। यह दृश्य आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा। पांच घोष गण के साथ 22 वाहिनियों में शिशु, बाल, किशोरी, तरुणी, गृहिणियां और प्रौढ़ कुल 574 सेविकाएं शामिल हुईं। नन्हीं बालिकाओं को लंबे मार्ग पर उत्साह से कदमताल करते देख दर्शक भावविभोर हो उठे। भारत माता की जय” और वन्दे मातरम के गगनभेदी नारे पूरे संचलन में गूंजते रहे।