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जैन दर्शन में चमत्कार को नमस्कार नही है

जैनों के भाव व श्रद्धा के नमस्कार से चमत्कार होते-विद्यासागरभक्ति नृत्य व ध्वजा रोहण के साथ आठ दिवसीय समवशरण विधान प्रारम्भ

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जैन दर्शन में चमत्कार को नमस्कार नही है

जैन दर्शन में चमत्कार को नमस्कार नही है

भीलवाड़ा।
जिस प्रकार एक बुझा हुआ दीपक प्रज्जवलित दीपक के पास आकर पुन: देदीप्यमान हो जाता है, उसी प्रकार काषयों के अंधकार में डूबा हुआ प्राणी, भगवान के समवसरण में आकर, उनकी कैवल्य ज्ञान की ज्योति से जाग्रत होकर, दिव्य ध्वनि से ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष मार्ग को जान कर उस पर चलने को उद्धत हो जाता है। यह बात बालयति विद्यासागर महाराज ने रविवार को विद्यासागर वाटिका में आयोजित समवसरण विधान के पहले दिन प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि जैन दर्शन में चमत्कार को नमस्कार नही है। जैनों के भाव एवं श्रद्धा के नमस्कार से चमत्कार हो जाते हैं।
विधानाचार्य विजय भैया ने अनुष्ठान के दौरान सप्त व्यसन त्याग, ब्रह्मचर्य पालन, आदि के नियमों के साथ सौधर्म इन्द्र समेत सभी इन्द्रों की मंत्रों से इन्द्र प्रतिष्ठा की। सभी इंद्राणियों ने घट यात्रा के कलशों से मंडप एवं समवसरण रचना का शुद्धि करण भक्ति भाव से किया। इस विधान को लेकर सभी में उत्साह देखते ही बन रहा था। इससे पूर्व प्रेम चंद जम्बू भैसा परिवार ने विद्यासागर महाराज के सानिध्य में ध्वजारोहण किया। महिला मंडल की सदस्यों ने ध्वजवंदना कर अभिवादन किया।
सौधर्म इन्द्र चैन सुख शाह, धनकुबेर सुन्दर कोठारी, महायज्ञ नायक राकेश पहाडिय़ा व आज के श्रेष्ठी श्रावक महिपाल जैन ने आदिनाथ, पदम प्रभ, चंद्र प्रभ, मुनिसुव्रत नाथ भगवान की प्रतिमाओं को समवसरण में विराजमान किया। सभी इंद्रों ने मंत्रों के साथ भगवान के अभिषेक किए। राकेश पंचोली ने रत्नवृष्टि के साथ 108 रिद्धि मंत्रों से अभिषेक, अजित अग्रवाल, भागचन्द छाबड़ा, महेंद्र सेठी ने शांतिधारा की। शास्त्री नगर के नंदलाल कोठारी परिवार ने मुनिसंघ का पाद पक्षालन एवं कमला देवी, अचर्ना देवी, सुशील जैन ने शास्त्र भेंट किए।