
भीलवाड़ा। प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व खनिज से मिल रहा है। खनन क्षेत्रों में मलबे के जगह-जगह खड़े पहाड़ सरकार के लिए सोना उगलेंगे। मलबे के पहाड़ों को समाप्त करने के लिए सरकार ने कवायद शुरू की। प्रदेश के खनिज अधिकारियों से इसके निस्तारण के सुझाव मांगे हैं।
खनिज के दोहन ने प्रदेश को औद्योगिक विकास की मुख्य धारा से जोड़ा, लेकिन नियमों की भी धज्जियां उड़ाई गई। अवैध खनन ने प्रदेश की धरा को बुरी तरह जख्मी कर दिया। अभी वैध कम व अवैध खनन ज्यादा हो रहा है। प्रदेश में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अलवर, जयपुर, जोधपुर, बालोतरा, कोटा, बूंदी आदि जिलों में अवैध खनन के चलते मलबे के पहाड़ खड़े हैं।
बिजौलियां क्षेत्र पत्थरों के ढेर में तब्दील हो गया है। माल निकाला, काम में लिया और वेस्टेज वहीं छोड़ दिया। कुछ इसी तर्ज पर यहां खनन हो रहा है। विभाग खान ने मालिकों को भूमि पुन: समतल करने के लिए पाबंद नहीं किया। नतीजतन क्षेत्र में जहां पहले पहाड़ थे, वहां गहरी खाइयां और जहां समतल भूमि थी वहां खनन से निकले पत्थरों की अप्राकृतिक पहाड़ियां बन गई। ओवर बर्डन को खान मालिक तय स्थान पर पहुंचाने के बजाय खनन क्षेत्र के आसपास डाल देते हैं। इससे यह समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है।
खनिज विभाग खनन क्षेत्र में लगे मलबे के ढेर का उपयोग ढूंढ़ने में लगा है। यह मलबा विदेशी मुद्रा भी अर्जित कर रहा है। कोबल्स की विदेशी बाजार में मांग है। ओवर बर्डन के पत्थरों का उपयोग भवन निर्माण में किया जाए तो चुनाई पत्थरों की खदानों पर दबाव घटेगा। इसके अलावा सड़क निर्माण में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। सरकार को मिलने वाले सुझावों के आधार पर पॉलिसी बनाई जा सकती है।
-ओपी काबरा, अधीक्षण अभियंता खनिज विभाग भीलवाड़ा
Published on:
13 Jan 2025 03:02 pm
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