नहीं लगा मन साहेब का श्रीनाथ जी के यहां से आए आरपीएस अधिकारी जी का शाहपुरा में मन ही नहीं लगा, भीलवाड़ा में सालों की नौकरी होने से बदलाव चाह रहे थे। चर्चा है कि उनका मन जयपुर मेें अटका होने से वह वहां की ही जोर अजमाइश कर रहे थे, मेहनत रंग लाई और कुछ दिनों की नौकरी करके जयपुर का तबादला आदेश ले आए
उनके दबदबे की है चर्चा नगर परिषद में सब कुछ ऊपर से ढंका और लीपा पुता है,लेकिन आंतरिक हालात ज्यादा ठीक नहीं है। चेयरमैन परिषद को पूरा समय दे रहे है, लेकिन आला अधिकारी समय ही नहीं निकाल पाल रहे है। चर्चा है कि नगर परिषद के कामकाज में एक होटल मालिक का भी दबदबा कम नहीं है, शिकायतें आते पर वह ही समाधान या समझाइश की राह निकालते है, लेकिन जिस प्रकार से यह दबदबा बढ़ रहा है, उससे निचले स्तर के अधिकारियों व कर्मियों की परेशानी ही बढ़ी हुई है।
तबादले पर चर्चा ए गरम नगर परिषद में भी राजनीति कम नहीं है, दो अभियंता अच्छे भले काम कर रहे थे, लेकिन दोनों के ही तबादले अचानक हो गए, चर्चा है कि दोनों ही अभियंता के तबादले जिस दिशा में हुए वह उनकी इच्छा के विपरीत ही थे, क्यूं हुए यह तबादले, इसको लेकर सब की अपनी अपनी राय है।
मेहरबानी में नहीं कोई कसर एसबी के हाथों तीन अधिकारियों के नपने के बाद नगर विकास न्यास में एक ही ठेकेदार की तूती बोल रही है, सभी अधिकारी भी मानो नत मस्तक है। चर्चा है कि जेसीबी व अन्य संसाधनों का मालिक नहीं होने के बावजूद भी उसे बड़ा ठेका मिल गया, इतना ही नहीं न्यास ने मेहरबानी की और दो दिन पहले चार जोन में से दो जोन के अधिकांश पार्क के रखरखाव का ठेका भी उसे दे दिया।
नजर नहीं आया बदलाव छह माह से कार्यवाहक, तीन माह से स्थाई, लेकिन बदलाव की तस्वीर अभी तक नगर विकास न्यास में नजर नहीं आई है। कर्मचारी व अभियंता पुराने ढर्रे पर ही अपनी मर्जी में ढले हुए है। किस शाखा में कर्मचारी है या नहीं, इसका हिसाब किताब रखने वाला कोई नहीं है, जरूरत पडऩे पर ही, संबधित की तलाश शुरू होती है। चर्चा है कि बायोमेट्रिक हाजिरी नहीं होने एवं शाखाओं में आपसी खिचड़ी पडऩे से समय की पाबंदी का कोई मायने नहीं रहा है। तीन अभियंता तो अभी तक ऐसी नाराजगी पाले बैठे है कि फाइलों के ही हाथ नहीं लगा रहे है और महज हाजिरी लगाने आ रहे है।
– नरेन्द्र वर्मा र्