यह फार्मूला काम का जिले में खाकी जी उलझे हुए है। शांति के आसार नजर ही नहीं आ रहे हैं। अपराधियों पर नकेल कसे तो कहीं पर भाईचारे पर ही संकट आ जाता है। इन सबसे निपटे तो अवैध बजरी दोहन का मसला उछल जाता है। सब खैरियत रहती है तो एसीबी की आंख टिक जाती है। यहां भी शांति एवं सुकून रहता है तो फिर किसी न किसी मामले में टाइगर की गाज गिर जाती है। यानी मुसीबतें कम नहीं होती है। ऐसे विकट हालात में कई थाना प्रभारी बेहतर काम करने की कोशिश करते हैं। शहर में सभी इस मामले में कुशल माने जाते हैं, लेकिन ग्रामीण अंचल में शिकायतें रहती है। इसके बावजूद शक्करगढ़ पुलिस का फार्मूला दाद देने वाला है। छोटा थाना होने के बावजूद यहां बड़ी सीख का संदेश जा रहा है। बजरी माफिया की नकेल कसने एवं कोई छूट न जाए, इसलिए यहां खनिज विभाग की ही टीम को सबसे पहले सूचना दी जा कर अवैध बजरी दोहन के खिलाफ हल्ला बोले हैं।
कोई लपेटे में न आ जाए
प्रदेश में भीषण गर्मी रौद्र रूप दिखा रही है। उसी गति से एसीबी भी भ्रष्टाचारियों पर कहर बरपा रही है। प्रदेश के कई बड़े नामधारी व आला अधिकारी दलालों के साथ नप गए। लगातार कार्रवाई के बावजूद भ्रष्ट लोगों का लालच कम नहीं हो रहा है। शहर एवं जिले में भी भ्रष्टाचार की जड़ें राजनीतिक संरक्षण से गहराती जा रही है। चर्चा है कि एसीबी के आला की निगाहें में भी जिला चढ़ाहै। गुप्तचर कुंडली मार कर बैठे हुए। कुछ खास पर नजर लगी है। उनके दलालों को टटोला जा रहा, उन्हें भी आभास है, लेकिन वह भी नहीं रूक रहे हैं।
रास नहीं आ रहा जिला
यह जिला मंत्रीजी को रास नहीं आ रहा है। राजधानी में होने से प्रभारी बनने की चाहत उन्हें पड़ोसी जिले की थी, लेकिन आका ने कमान वस्त्रनगरी की सौंप दी। बेमन से जिम्मेदारी संभाली। काम करना शुरू किया था कि राजनीतिक नियुक्तियों ने राह और मुश्किल कर दी। इतना ही नहीं पारिवारिक पीड़ा भी अब तकलीफें बढ़ाने लगी है। उनके शुभचिंतक भी मंत्री जी की राशि में राहू व केतू के कुंडली मार कर बैठने से चिंतित है।