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एक कमरे में दो से तीन कक्षा तो कहीं बरामदे या पेड़ तले पढ़ाई

मानसून में ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र के कई सरकारी विद्यालय बेहाल रहते हैं। स्कूलों की छतें टपकती है। एक ही कमरे में दो-तीन कक्षा लगाई जाती है। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां रास्ते में कीचड़ के चलते बच्चों को पहुंचने में भी दिक्कत आती है।

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एक कमरे में दो से तीन कक्षा तो कहीं बरामदे या पेड़ तले पढ़ाई,एक कमरे में दो से तीन कक्षा तो कहीं बरामदे या पेड़ तले पढ़ाई

एक कमरे में दो से तीन कक्षा तो कहीं बरामदे या पेड़ तले पढ़ाई,एक कमरे में दो से तीन कक्षा तो कहीं बरामदे या पेड़ तले पढ़ाई

भीलवाड़ा. मानसून में ग्रामीण ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र के कई सरकारी विद्यालय बेहाल रहते हैं। स्कूलों की छतें टपकती है। एक ही कमरे में दो-तीन कक्षा लगाई जाती है। जिले में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां रास्ते में कीचड़ के चलते बच्चों को पहुंचने में भी दिक्कत आती है।
भीलवाड़ा शहर में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, दादाबाड़ी में पहली से आठवीं तक 62 विद्यार्थी हैं। गत सत्र में 70 विद्यार्थी थे। स्कूल में महज एक शिक्षक है। भवन इतना जर्जर है कि सात में से चार कमरों पर ताले हैं क्योंकि ये बच्चों को बैठाने लायक नहीं रहे। तीन कमरों में सभी कक्षाएं चलती है लेकिन ये भी बरसात में टपकते हैं। बारिश के दिनों में बच्चों के बैठने के लिए भी जगह नहीं है। प्रधानाध्यापिका सुमित्रा पारीक ने बताया कि स्कूल भवन के सभी कमरे, बरामदे, चारदीवारी और शौचालय जर्जर हैं। मरम्मत का प्रस्ताव भेजा है। दो-तीन साल से प्रक्रिया चल रही है। जर्जर भवन व स्टाफ की कमी से नामांकन घट गया।

भीलवाड़ा की मोहम्मदी कॉलोनी स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय परिसर के एक कमरे में राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुर्जरपाड़ा व राजकीय प्राथमिक विद्यालय भवानीनगर की कक्षाएं लगती है। भवानीनगर और गुर्जरपाड़ा स्कूल में करीब 40-40 बच्चों का नामांकन है लेकिन बैठने की व्यवस्था नहीं होने से आधे से ज्यादा बच्चे स्कूल नहीं आते हैं। एक कमरे में होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। दोनों स्कूल मर्ज होने के बाद 9 साल से मोहम्मदी कॉलोनी स्कूल के एक कमरे में चल रहे हैं।
सुवाणा पंचायत समिति के हजारी खेड़ा (आटूण) के राजकीय प्राथमिक विद्यालय का भवन जर्जर हो चुका है। एक ही कमरे में सभी कक्षाएं चलती है। बारिश में छत टपकती है। तेज बारिश आ जाए तो बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है।

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- देवतलाई स्कूल : बरामदे में पढ़ाई

बीगोद. कस्बे के नजदीक राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवतलाई में कमरे एवं स्टाफ की कमी के कारण सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों को बरामदे में पढ़ाई कराई जाती है। गांव में 1994 से संचालित स्कूल सुविधाओं के अभाव के कारण नामांकन भी नहीं बढ़ रहा। कक्षा एक से पांच तक 40 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। क्षेत्र में ऐसे में कई स्कूल हैं।

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बदनोर. मोगर पंचायत के सुरेला में राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पांचवीं तक 38 विद्यार्थियों का नामांकन है। विद्यालय चट्टान पर है। मंगरा क्षेत्र होने से बारिश के दिनों में पहाड़ियों से बहता पानी विद्यालय परिसर में भर जाता है, जो 4 से 5 महीने तक भरा रहता है। छोटे बच्चों को 1 से 2 फीट पानी में बड़ी घास से होकर विद्यालय जाना पड़ता है।
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- जल्द तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाएंगे...

जिले में जिन स्कूलों में कमरों की और मूलभूत सुविधाओं की समस्या है, उनकी जल्द ही तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाएंगे। समस्या का समाधान करेंगे।
-अरूणा गारू, सीडीईओ