
नगर परिषद व नगर विकास न्यास के बीच जनता की पीड़ा को दूर करने के लिए तालमेल की पटरी नहीं बैठ सकी है।
भीलवाड़ा।
नगर परिषद व नगर विकास न्यास के बीच जनता की पीड़ा को दूर करने के लिए तालमेल की पटरी नहीं बैठ सकी है। इधर, राजस्थान आवासन मण्डल की कॉलोनी के बाशिन्दे भी नगर परिषद की व्यवस्थाओं से निराश है। अब उन्हें जिला प्रशासन से राहत की उम्मीद है। इनमें शास्त्रीनगर और चन्द्रशेखर आजाद नगर के बाशिन्दे तो गत 18 साल से नगर परिषद के कारण फुटबाल बने हुए है।
राजस्थान आवासन मण्डल ने शहर में शास्त्रीनगर, बापूनगर व चन्द्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी चार दशक पूर्व स्थापित की थी। इनमें शास्त्री व बापूनगर का दायरा कहीं अधिक बढ़ गया और ये कॉलोनियां अब नए व पुराने शास्त्रीनगर व बापूनगर हाउसिंग बोर्ड के नाम से जानी जाती है। इसी प्रकार चन्द्रशेखर आजाद नगर भी नए व पुराने क्षेत्र के रूप में विकसित हो गए है। आवासन मण्डल ने शास्त्रीनगर, बापूनगर व चन्द्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी को विकसित कॉलोनी मानते हुए इन्हें नगर परिषद को वर्ष 2000 में स्थानांतरित कर दिया था, लेकिन तीनों ही कॉलोनी के आवंटन की पत्रावलियां आर के कॉलोनी स्थित आवासन मण्डल कार्यालय में ही मार्च 2017 तक पड़ी रही।
यूं अटकी रही समस्या
ये फाइलें परिषद में नहीं आने से तीनों ही कॉलोनियों के आवंटियों को रजिस्ट्री, थर्ड पार्टी रजिस्ट्री, नव निर्माण, नामांतरण, अतिक्रमण, लीज राशि जमा कराने समेत अन्य कार्यों के लिए परिषद से लेकर आवासन मण्डल तक के चक्कर लगाने पड़ रहे थे। आवंटियों व जिला प्रशासन के दबाव से वर्ष 2017 में नगर परिषद ने बापूनगर की फाइलें मंगवा ली, लेकिन शेष दोनों कॉलोनियों की फाइलों को हाथ ही नहीं लगाया।
नया हाउसिंग बोर्ड शास्त्रीनगर व पुराना हाउसिंग बोर्ड शास्त्रीनगर तथा चन्द्रशेखर आजाद नगर की पत्रावलियां अभी भी आवासन मण्डल में पड़ी हुई है। एेसे में दोनों ही कॉलोनियों के करीब पांच हजार आवंटी अभी भी दोनों ही विभागों के बीच फंसे हुए है। शास्त्रीनगर निवासी रिखब चंद का कहना है कि बीस साल पहले उसने आवासन मण्डल का मकान खरीदा था, लेकिन १६ साल से वे दोनों विभागों के बीच फंसा हुआ है, नव निर्माण व लीज राशि जमा कराने के लिए पहले नगर परिषद जाना पड़ता है और फिर फाइल के लिए आवासन मण्डल के चक्कर लगाने पड़ते है। परिषद का एक ही जवाब है यहां फाइल रखने के लिए जगह नहीं है, आवासन मण्डल में फाइलें सुरक्षित रहेगी।
कलक्टर से भी लिखवा दिया हमने
नगर परिषद को तीनों कॉलोनियां वर्ष 2000 में ही हैंड ओवर कर दी गई है, लेकिन शास्त्रीनगर व चन्द्रशेखर आजाद नगर की फाइलें अभी तक परिषद ने नहीं ली है। इसको लेकर विभागीय स्तर पर कई पत्र लिखे जा चुके है। जिला कलक्टर की तरफ से भी गत वर्ष परिषद को एक पत्र जारी किया जा चुका है, इसके बावजूद परिषद ने फाइलें नहीं ली है। एेसे में आवंटियों के साथ ही मण्डल की परेशानी बढ़ी हुई है।
राजेन्द्रसिंह, आवासीय अभियंता, राजस्थान आवासन मण्डल भीलवाड़ा
Published on:
06 Apr 2018 03:01 pm
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