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142 किलोमीटर दूर से यहां ले आए पानी, अब अफसरों के कुप्रबंधन से शहर प्यासा

पेयजल परिवहन और जल आपातकाल जैसे हालात से शहर निकल गया लेकिनकुप्रबंधन से फिर वही संकट पैदा हो गया

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ट्रेन से पेयजल परिवहन और जल आपातकाल जैसे हालात से शहर निकल गया लेकिन अफसरों के कुप्रबंधन से फिर वही संकट पैदा हो गया।

भीलवाड़ा।

ट्रेन से पेयजल परिवहन और जल आपातकाल जैसे हालात से शहर निकल गया लेकिन अफसरों के कुप्रबंधन से फिर वही संकट पैदा हो गया। सरकार ने करीब 1600 करोड़ रुपए खर्च कर 142 किलोमीटर दूर भैंसरोडगढ़ चम्बल से यहां पानी लाने की योजना बनाई। छह साल बाद पानी आ गया लेकिन अभी भी आधा शहर प्यासा है। कारण है कि जलदाय विभाग व चम्बल परियोजना के अधिकारी पेयजल का सही प्रबंधन नहीं कर पा रहे हैं। कहीं लाइन पूरी नहीं डली है तो कहीं पानी का प्रेशर नहीं है।

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शहर की इस बड़ी समस्या का सच जानने बुधवार को राजस्थान पत्रिका की दो टीमों ने सुबह पांच से सात बजे तक जलापूर्ति के दौरान शहर का जायजा लिया। कई चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई है। पत्रिका टीमों ने देखा कि कहीं पानी बर्बाद हो रहा है तो कहीं पीने के पानी का भी संकट है।

सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट

भैंसरोडगढ़ से आरोली। इसकी दूरी 48.6 किलोमीटर है। इसके बाद आरोली में पानी को फिल्टर कर भीलवाड़ा ला रहे हैं। इसकी दूरी 93 किमी है। यह योजना कांग्रेस राज की थी लेकिन काम भाजपा के राज में हुआ। मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे का भीलवाड़ा के लिए ड्रीम प्रोजेक्ट है। चुनाव में दोनों पार्टियों के लिए बड़ा मुद्दा है। कारण है कि शहर के बाद पूरे जिले में चम्बल की जलापूर्ति की तैयारी है। इस प्रोजेक्ट में वन विभाग से एनओसी में कई समस्या आई और अब पानी आया तो वितरण भी ढंग से नहीं कर पा रहे हैं।

पत्रिका ने इन कॉलोनियों में देखे हाल
बड़ा मंदिर क्षेत्र, पुराना भीलवाड़ा, माणिक्यनगर, मालीखेड़ा, शिवाजीनगर, कांवाखेड़ा, न्यू हाउसिंग बोर्ड, पुराना हाउसिंग बोर्ड, शास्त्रीनगर, वकील कॉलोनी, काशीपुरी, आजादनगर, द्वारिका कॉलोनी, जवाहरनगर, बापूनगर, बीलिया, रीको, सुभाषनगर, गायत्रीनगर, गांधीनगर आदि कॉलोनियों में पत्रिका टीम पहुंची और पेयजल व्यवस्था का जायजा लिया।


यह बोली जनता
इलाके में रोज पानी आ रहा। जलसंकट नहीं है, लेकिन घर के बाहर कुंड में ही पानी भरना पड़ रहा। अंदर तक प्रेशर नहीं आता।
मीना जागेटिया, पुराना भीलवाड़ा

एक घण्टा भी पूरा पानी नहीं आता। जो आता है वह पीने के लिए पूरा नहीं होता। एेसे में हैण्डपम्प और नलकूप की दौड़ लगानी पड़ती है।
कमलादेवी राव, शिवाजी नगर

न्यू हाउसिंग बोर्ड में जलसंकट है। पांतरे पानी दे रहे है, लेकिन प्रेशर के साथ नहीं आता। एक घण्टा भी पूरा पानी नहीं दिया जाता।
अशोक अग्रवाल, शास्त्रीनगर न्यू हाउसिंग बोर्ड

एक घण्टा भी पूरा पानी नहीं आता। जो आता है वह पीने के लिए पूरा नहीं होता। एेसे में हैण्डपम्प और नलकूप की दौड़ लगानी पड़ती है।
कमलादेवी राव, शिवाजी नगर

करोड़ों रुपए खर्च कर शहर में पानी लाए। अफसरों की लापरवाही से जनता प्यासी है। इलाके में पर्याप्त पानी आता ही नहीं। हालात जस के तस है।
नंदसिंह पुरावत, शिवाजीनगर


चम्बल आने के बाद भी फायदा नहीं मिला। दो दिन में भी एक घण्टे पानी नहीं आ रहा। पेयजल के लिए भटकने को मजबूर हैं।
चम्पालाल आचार्य, शिवाजीनगर


शहर में पेयजल का संकट पहले था लेकिन अब चंबल का पानी आने के बाद भी यदि एेसी समस्या है तो गंभीर बात है। चंबल परियोजना व जलदाय विभाग के अधिकारियों को बुलाकर इसकी रिपोर्ट ली जाएगी। शहर की जलापूर्ति में किसी की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी।
मुक्तानंद अग्रवाल, जिला कलक्टर


मंत्री बोले, एेसा है तो मैं आकर देखूंगा
भीलवाड़ा में पेयजल संकट का मुद्दा काफी समय से था। इसका समाधान हमने किया है। अब शहर में बराबर जलापूर्ति नहीं हो रही है तो गंभीर मामला है। इसमें चंबल परियोजना व जलदाय विभाग के अधिकारियों से बात करूंगा। जरुरत पड़ी तो मैं खुद आकर भीलवाड़ा में आकर इस परियोजना की समीक्षा करूंगा।
सुरेंद्र गोयल, जलदाय मंत्री