7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

निजी स्कूलों ने बढ़ाई फीस तो अभिभावकों का गड़बड़ाया बजट

21 अप्रेल तक स्कूलों के निरक्षण की मांगी रिपोर्ट

2 min read
Google source verification
When private schools increased their fees, parents' budget got messed up

When private schools increased their fees, parents' budget got messed up

निजी स्कूलों में नया शिक्षण सत्र शुरू हो गया है। इसके साथ घर-घर एक ही चिंता है कि स्कूल ने फिर फीस बढ़ा दी। भीलवाड़ा के निजी स्कूलों की मनमानी बेलगाम हो रही है। हर साल स्कूल फीस में 15 से 20 फीसदी बढ़ोतरी कर रहे हैं। इस बार भी स्कूलों ने नया फीस स्लैब जारी कर दिया है। फीस में बढ़ोतरी देख अभिभावकों का विरोध भी शुरू हो गया है।

बड़े स्कूलों की फीस में 5 से 8 हजार रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में अभिभावक अब फीस भरने की जुगाड़ में जुट गए हैं। वहीं, दूसरी ओर सीमित आय और पढ़ाई का खर्चा बढ़ने से घर का बजट बिगड़ रहा है। शहर में करीब 40 से अधिक बड़े स्कूल हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले हजारों बच्चों फीस बढ़ोतरी से प्रभावित हो रहे हैं। सरकार ने निजी स्कूलों की फीस पर लगाम कसने के लिए फीस एक्ट 2017 लागू कर रखा है। लेकिन इस एक्ट के तहत स्कूलों पर कार्रवाई नहीं की जाती।

स्कूलोें में कमेटियों का गठन तक नहीं

स्कूल में पीटीए (पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन) का गठन नियमानुसार नहीं किया गया। ऐसे में फीस बढ़ोतरी भी सही नहीं है। सवाल उठता है कि फीस एक्ट 2017 बनने के बाद आज तक शिक्षा विभाग ने एक भी स्कूल में कमेटी की जांच नहीं की। हकीकत में स्कूलों में पीटीए (पेरेंट्स टीचर एसोसिएशन) का गठन ही नहीं है। बिना कमेटी ही फीस बढ़ोतरी की जा रही है। अधिकतर निजी स्कूलों ने फीस बढ़ाकर अभिभावकों पर आर्थिक दबाव बनाना शुरू कर दिया है। इससे अभिभावक मानसिक तनाव में हैं। एडमिशन फीस भी बढ़ा दी है। एक महिला ने बताया कि निजी स्कूलों ने अभिभावकों को कमाई का जरिया बना रखा है।

स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियें को गैर सरकारी विद्यालयों में राजस्थान विद्यालय (फीस का विनियमन) अधिनियम 2016 एवं 2017 की पालना कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पुस्तकों, यूनिफार्म आदि की जानकारी रिपोर्ट देने को कहा है।

शासन उप सचिव राजेश दत्त माथुर ने कहा है कि गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षण शुल्क, पाठ्य सामग्री, पुस्तकें, स्टेशनरी, यूनिफार्म, टाई बेल्ट, जूते-जुराब आदि की मनमानी रोकने के संबंध में निदेशालय की ओर से विस्तृत दिशा-निर्देश एवं निरीक्षण प्रारूप जारी किए हैं। इसके तहत निदेशालय की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों की पालना में अधीनस्थ अधिकारियों की ओर से अब तक कितने निजी विद्यालयों का निरीक्षण किया गया (प्रारूप सहित), किन-किन विद्यालयों ने विभागीय दिशा-निर्देशों की पालना नहीं की गई हैं, जिन विद्यालयों ने पालना नहीं की है, उन पर क्या-क्या कार्रवाई की गई है। इसकी रिपोर्ट 21 अप्रेल तक पेश करने के निर्देश दिए हैं।