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आप, आना ना भूले रामेश्वर महादेव

बरसते मौसम एवं सावन की घटाओं के बीच हरे- भरे एवं औषधीय पेड़ों के बीच बने खेरी के रामेश्वर महादेव के समीप कलकल बहती गंभीरी नदी मानो महादेव की चरण वंदना कर रही है।

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आप, आना ना भूले रामेश्वर महादेव

आप, आना ना भूले रामेश्वर महादेव

चित्तौड़गढ़ जिला कई शक्तिपीठ और शिव मंदिरों की आध्यात्मिक एवं तपो भूमि है‌। ऐसा ही प्रसिद्ध मन्दिर है खेरी का रामेश्वर महादेव मंदिर। जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर बस्सी क्षेत्र में ग्राम पंचायत एराल के खेरी गांव में स्थित गंभीरी नदी के तट पर बने श्री रामेश्वर महादेव (नन्दिनी आश्रम) स्थल आसपास क्षेत्र में प्रसिद्ध है।

इस मन्दिर स्थल पर करीब 15 वर्ष पूर्व मंदिर के अलावा कुछ नहीं था। पूरा स्थल वीरान था, जिसे डबोक के पास स्थित नांदवेल आश्रम से आकर महंत शिवरामदास त्यागी ने अथक परिश्रम एवं संकल्प के साथ हरे भरे पेड़ व औषधिय पौधे लगाकर एवं गोशाला बनाकर श्रद्धालुओं के लिए एक बड़ा आस्था का केंद्र बना दिया।

रियासतकाल के दौरान मेवाड़ के महाराणा भगवान शिव के बड़े भक्त रहे हैं इसका प्रभाव वर्तमान में भी पूरे मेवाड़ में देखने को मिलता है ।

श्री एकलिंग नाथ भगवान को ही मेवाड़ का राजा माना गया है क्योंकि रियासत काल के दौरान मेवाड़ के महाराणा स्वयं को श्री एकलिंगनाथ भगवान का दीवान मानकर पुजते आए हैं। राजपूत शासकों के उपासक होने के कारण मेवाड़ में अनेक शिव मंदिर का निर्माण करवाया गया। खेरी का रामेश्वर महादेव भी प्राचीन स्थल है यहां पर पूर्व में महंत सरजूदास महाराज पूजा किया करते थे उनकी समाधि मंदिर परिसर में बनी है।


महंत रामस्वरूप दास महाराज ने इस स्थल पर पूजा अर्चना की और क्षेत्र में आध्यात्म की ज्योति चलाई। बाद में महंत रामस्वरूप दास महाराज डबोक के पास नांदवेल चले गए। जहां पर उन्होंने नान्देश्वर महादेव आश्रम बनाया। जहां पर डबोक के आसपास क्षेत्र के और उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि आया करते हैं।

महंत रामस्वरूप दास महाराज के शिष्य नांदवेल के महंत शिवरामदास त्यागी करीब 15 वर्ष पूर्व इस स्थान पर आए। तब केवल रामेश्वर महादेव का मंदिर ही था। पूरा स्थल विरान पड़ा था। महंत शिवरामदास महाराज ने यहां पेड़ पौधे लगाए और गोरक्षा के लिए गोशाला बनाई। पूरे स्थल को रमणीय बना दिया।

यहां रामेश्वर महादेव में रुद्राक्ष, कटहल, पीपल, बरगद, चांदनी, चमेली, मधुमालती आदि पौधे हैं। इन पौधों से आयुर्वेदिक औषधियां बनाई जाती है। रामेश्वर महादेव के आस-पास के गांव में अध्यात्म के प्रति लोगों में नई जागृति पैदा हुई है। यहां 2011 में श्रीराम महायज्ञ एवं 2019 में रुद्र महायज्ञ का आयोजन भी हुआ है। मेवाड़ मंडल के कई संतों का समागम हुआ। यहां धार्मिक अनुष्ठान और भजन-कीर्तन चलते रहते हैं। प्रतिवर्ष सावन महीने में यहां पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

सावन महीने में प्रतिवर्ष महादेव का सवा लाख बेलपत्र से अभिषेक किया जाता है। रविवार को यहां पर सवा लाख बेलपत्र से भगवान महादेव का अभिषेक किया गया, इस दौरान भजन कीर्तन का कार्यक्रम भी रखा गया। महंत शिवरामदास महाराज के प्रयासों से ही गिलुण्ड गांव करीब 50 बीघा जमीन गोशाला का संचालन किया जा रहा है। रामेश्वर महादेव मन्दिर में आसपास गांवो के अलावा चित्तौड़गढ़ शहर, नीमच, मंदसौर , उदयपुर, भीलवाड़ा से भी कई श्रद्धालु पहुंचते हैं।