
भिंड. 38 साल पहले देश को दहला देने वाले बेहमई कांड में आज फैसला आने की उम्मीद है। बेहमई कांड के बाद कुख्यात डकैत फूलन देवी, बैंडिट क्वीन के नाम से फेमस हो गईं थी। 14 फरवरी 1981 को उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के बेहमई में डकैत फूलन देवी ने अपने गिरोह के साथ मिलकर 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। फूलन देवी ने मध्यप्रदेश के भिंड जिले में आत्मसमर्पण किया था। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में फूलन देवी का जिक्र किया है।
अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में फूल देवी का जिक्र करते हुए लिखा है कि जब मैंने पहली बार फूल देवी को देखा था तो मैं चौंक गया क्योंकि मेरे सामने एक पांच फीट की लंबी लड़की ऑटोमेटिक राइफल लिए मंच पर चढ़ रही थी। उसने मेरे पैर छूए और हथियार मेरे पैरों में डालकर हाथ जोड़ा। मेरी सहानुभूति उसके साथ थी। क्योंकि, उसको कानून हाथ में लेने के लिए कुछ लोगों ने मजबूर किया था। जिस कारण एक साधारण लड़की खूंखार दस्यू बनी और कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में दो अधिकारियों का भी जिक्र किया है। फूलन देवी के आत्मसमर्पण की कहानी का श्रेय अर्जुन सिंह ने राजेन्द्र चतुर्वेदी और कल्यान मुखर्जी को दिया है और उनके प्रयासो की सराहना भी है। बता दें कि फूलन देवी ने जिस समय आत्मसमर्पण किया था उस समय राजेन्द्र चतुर्वेदी भिंड जिले के पुलिस अधीक्षक थे। ऐसा कहा जाता है कि राजेन्द्र चतुर्वेदी के प्रयासों के कारण ही फूलन देवी आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार हुईं थी।
कहानी उस अफसर की जिसने फूलन का आत्मसमर्पण कराया
फूलन देवी के आत्मसमर्पण में भिंड जिले के एसपी राजेन्द्र चतुर्वेदी ने अहम भूमिका निभाई थी। उनके समझाने के बाद ही फूलन देवी आत्म समर्पण के लिए तैयार हुईं थीं। राजेन्द्र चतुर्वेदी से कई चरण की वार्ता के बाद फूलन देवी ने आत्मसमर्पण करने के लिए हामी भरी ती। उसके बाद 12 फ़रवरी 1983 को फूलन देवी ने भिंड में तत्कालान सीएम अर्जुन सिंह के सामने आत्म समर्पण किया था। आत्मसमर्पण के बाद कई सालों तक फूलन देवी ग्वालियर जेल में रहीं। ऐसा कहा जाता है कि फूलन देवी सरेंडर वाले दिन घबराहट में थीं। उन्होंने कुछ नहीं खाया था यहां तक की ना वो रात भर सो पाईं थी।
राजेंद्र चतुर्वेदी की फूलन देवी से कई मुलाक़ातें हुईं। राजेन्द्र चतुर्वेदी को फूलन देवी पर भरोसा हो जाए इसके लिए राजेन्द्र चतुर्वेदी ने अपनी पत्नी और अपने बेटे को फूलन देवी से मिलाया था। फूलन देवी अपनी आत्मकथा में लिखा था- चतुर्वेदी की पत्नी बहुत सुंदर और दयालु थीं। वो मेरे लिए तोहफ़े लेकर आई थीं।
इस घटना के बाद बैंडिट क्वीन कहलाने लगीं थी फूलन देवी
14 फरवरी 1981 को उत्तर प्रदेश कानपुर जिले के बेहमई गांव में एक हत्याकांड हुआ था। इस हत्या कांड को बेहमई कांड के नाम से भी जाना जाता है। फूलन देवी ने अपने गिरोह के साथ मिलकर 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बेहमई कांड के बाद फूलन देवी चंबल की बैंडिट क्वीन के नाम से फेमस हुईं थीं। दरअसल, फूलन देवी के पिता की 40 बीघा जमीन पर उसके चाचा ने कब्जा कर लिया था। फूलन देवी ने जब चाचा से जमीन मांगी तो चाचा ने फूलन पर डकैती का मामला दर्ज करा दिया था। इस मामले में फूलन को जेल भी हुई थी। जेल से बाहर आने के बाद वो डकैतों के संपर्क में आईं थी। चाचा से बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को गोली मारकर हत्या कर दी थी।
Updated on:
07 Jan 2020 12:01 pm
Published on:
06 Jan 2020 10:30 am
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