
अगर आकाश छूना हो , पिता की छांव छू लेना...
भिण्ड. विराट उजास कवि सम्मेलन का आयोजन लहार चुंगी में किया गया। इसका संचालन शिक्षक डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने किया। उमेश भारद्वाज ने कवियों का सम्मान किया। फिरोजाबाद से आए व्यंग्यकार मंजुल मयंक ने कहा, पागल कुत्तों से बचना चाहता हूं मगर क्या करूं, जब काट लेते हैं तब पहचान पाता हूं।
हरिहर ङ्क्षसह लहार और शैलेश नारायण ङ्क्षसह कुशवाह ने राष्ट्रवाद से ओतप्रोत कविताएं सुनाकर श्रोताओं में जोश भर दिया। गजलकार किशोरीलाल बादल के मुक्तकों ने खूब गुदगुदाया, गुलामी का तजुर्बा तो हसीनों से ही मिलता है। रौन से आए गीतकार डॉ.शिवेंद्र ङ्क्षसह शिवेंद्र के सारगर्भित मुक्तकों पर जमकर तालियां बजीं, अगर आकाश छूना हो पिता की छांव छू लेना। मिहोना के हास्यकवि हरिबाबू शर्मा निराला ने कहा कि बालम सरपंची जिन लडिय़ो। दोहाकार जितेंद्र त्रिपाठी अमित के दोहों को भरपूर सराहना मिली।
राम पर लिखी कविता पढ़ी
डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला ने राम पर लिखी कविता पढ़ी तो पूरा वातावरण राममय हो गया, पावनी पुनीत पुण्यभूमि पूज्यधाम का। छीरङ्क्षसध वास सीय सोहे अंग वाम का।। एक बार ध्यान तो लगाओ श्रीराम का। राम का नहीं है वो नहीं है किसी काम का। आचार्य अतुल शास्त्री मेंहदा ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में सुखराम भारद्वाज, बृजेश भारद्वाज ने आभार व्यक्त किया। कवि सम्मेलन में राकेश बरुआ, कमलेश सेंथिया, राजमणि शर्मा, रामदत्त जोशी, विशाल भारद्वाज, विष्णु भारद्वाज, सोनू भारद्वाज सहित अनेक सुधी श्रोता उपस्थित थे।
Published on:
26 Sept 2022 05:43 pm
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