
भिण्ड. पति की आत्महत्या के लिए दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर पिछले ११ दिन से अपने ही घर के बाहर अनशन पर बैठे मां-बेटे की हालत बिगडऩे पर पुलिस ने बल पूर्वक उठाकर जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने दूसरे बेटे को भी हिरासत में ले लिया था, जिसे बाद में रिहा कर दिया।
सोमवार को करीब १२.२० बजे एसडीएम संतोष तिवारी, नायब तहसीलदार मनीषा मिश्रा, सीएसपी वींरेंद्र सिंह तोमर भारी पुलिस बल तथा सीएमएचओ डा. जेपीएस कुशवाह, सिविल सर्जन डा. अजीत मिश्रा के साथ गोंविद्र नगर स्थित अनशन स्थल पर पहुंचे। मेडीकल चैकअप के दौरान हालत खराब पाए जाने पर एसडीएम तिवारी ने अनशनकारी लीलावती व उसके पुत्र विकास को समझा बुझाकर उठाने की कोशिश की। लेकिन मां बेटे बोले कि मर जाएंगे मगर अनशन तभी खत्म होगा जब दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्जकर ली जाएगी। समझाने बुझाने पर बात बनते न देख पुलिस अधिकारियों ने दोनों को जबरन उठाकर एंबुलेंस से उपचार के लिए जिला अस्पताल भेज दिया। कार्रवाई के विरोध मेंं दूसरा बेटे आकाश ने अपने रिश्तेदारों के साथ बंबा रोड पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। जानकारी मिलने पर डीएसपी मुख्यालय राकेश छारी, टीआई देहात उदयभानसिंह यादव, लहार टीआई रेखा पाल, उपनिरीक्षक विनोद छावई, महिला एसआई, एसआई रतना जैन, सत्यवीर ङ्क्षसह मौके पर पहुंचे और एक बार फिर से समझाबुझाकर जाम खोलने के लिए कहा। भीड़ के बेकाबू होते देख पुसिल ने बल प्रयोग कर लोगों को खदेड़ दिया, लीलावती के दूसरे बेटे आकाश को हिरासत में लेकर कोतवाली भेज दिया। शाम को उसे रिहा भी कर दिया। पुलिस ने अनशन स्थल से तंबू आदि भी उखाड़कर फैंक दिए है। अनशनकारी लीलावती तथा उसके बेटे की हालत में उपचार के बाद धीरे-धीरे सुधार आने लगा है।
ये हैं मामला २ अक्टूबर २०१७ को रौन थाने में पदस्थ प्रधानआरक्षक रामकुमार शुक्ला ने थाने में पदस्थ तत्कालीन टीआई एसएस गौर तथा अन्य चार पुलिसकर्मियों पर प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए सरकारी क्वार्टर में ही जहरीला पदार्थ खाकर आत्म हत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले उन्होंने तत्कालीन एसपी से हुईवार्तालाप का एक ओडियो भी जारी किया था। आत्महत्या के बाद हजारों की भीड़ ने सिटी कोतवाली का घेराव भी किया था। पुलिस ने मर्ग कायम जांच की जिम्मेदारी एएसपी मुरैना अनुराग सुजानियां को सौंपी थी। पति की आत्म हत्या के लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर लीलावती अपने बेटे विकास के साथ अपने घर के बाहर ही तंबू लगाकर २ फरवरी से धरने पर बैठ गई थी। कईबार उसे समझाने की कोशिश भी की गई लेकिन बात नहीं बनी।
सर, मैं भी पुलिस परिवार का सदस्य हूं, न्याय की मांग करना क्या अपराध है
अनशन को जबरन खत्म कराने पहुंचे डीएसपी मुख्यालय राकेश छारी से आकाश की बहस हो गई। आकाश बोला- सर , अधिकारियों की प्रताडऩा के चलते मेरे पिता की मौत हुई है। मृत्यु से पूर्व के ओडियो और वीडियो इसका गवाह है, पुलिस पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए होती हैं, यहां तो आरोपियों को ही बचाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि मैं तो पुलिस परिवार का ही सदस्य हूं। क्या न्याय की मांग करना अपराध हैं, यदि में चुप रहा तो मेरे मृत पिता की आत्मा मुझे कभी माफ नहीं करेंगी।
Published on:
12 Feb 2018 11:15 pm
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