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5.43 करोड़ में होगा महोबा, भिण्ड, उरई, राठ रेलवे लाइन के लिए सर्वे

उक्त रेल लाइन के लिए एक दूशक पूर्व भी किया जा चुका है सर्वे

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भिंड

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Abdul Sharif

Oct 05, 2022

5.43 करोड़ में होगा महोबा, भिण्ड, उरई, राठ रेलवे लाइन के लिए सर्वे

5.43 करोड़ में होगा महोबा, भिण्ड, उरई, राठ रेलवे लाइन के लिए सर्वे

अब्दुल शरीफ भिण्ड.
महोबा, भिण्ड, उरई, राठ नई रेलवे लाइन के लिए शीघ्र सर्वे कार्य शुरू किया जाएगा। सर्वे पर पांच करोड़ 43 लाख रुपए व्यय किए जाएंगे। इसके लिए केंद्रीय रेल मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिया है।
29 सितंबर 2022 को जारी हुए आदेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश के महोबा से मध्य प्रदेश के भिण्ड तथा यूपी के उरई और राठ के बीच 217 किलो मीटर की नई रेलवे लाइन के लिए सर्वे की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। उक्त सर्वे कार्य की स्वीकृति उपरांत क्षेत्र के लोगों में उक्त रेलवे लाइन बिछाए जाने के कार्य को अंजाम तक पहुंचने की नाउम्मीदी के सवाल भी परेशान कर रहे हैं। दरअसल वर्ष 2010 में उक्त रेलवे लाइन के लिए भिण्ड, उरई, कोंच के नाम से न केवल सर्वे कराया जा चुका है बल्कि 465 करोड़ में निर्माण कार्य पूरा किए जाने की स्वीकृति भी मिल गई थी। बावजूद इसके रेलवे लाइन का काम शुरू नहीं हो पाया।
- वर्ष 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी उक्त रेल लाइन बिछाने की घोषणा
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भिण्ड आगमन के दौरान भिण्ड, उरई, कोंच रेलवे लाइन बिछाए जाने की घोषणा की थी। उसके बाद तत्कालीन सांसद डॉ. रामलखन सिंह कुशवाह ने इसका प्रपोजल तैयार करवाकर रेल मंत्रालय को दिया। तदुपरांत रेल लाइन का न सिर्फ सर्वे कराया गया बल्कि लाइन बिछाए जाने के लिए धनराशि भी स्वीकृत कर दी गई।
- बोले लोग पुराने सेंक्शन को रिवाइज कर बचाया जा सकता था समय और पैसा
जनप्रतिनिधियों और आमजन ने पत्रिका से चर्चा में बताया कि उक्त रेलवे लाइन के लिए नए सिरे से सर्वे कराए जाने पर न केवल अतिरिक्त धनराशि व्यय होगी बल्कि लंबा समय भी लगेगा। जबकि पूर्व के एस्टीमेट को ही नए सिरे से रिवाइज किया जा सकता था। इसमें सर्वे में बर्बाद होने वाला समय और पैसा दोनों बच सकते थे। साथ ही लोगों को रेलवे लाइन का ख्वाब पूरा होने की आसार भी प्रबल महसूस हो सकते थे।
- पूर्व में स्वीकृत महोबा, भिण्ड, कोंच, उरई रेल लाइन क्यों नहीं पहुंच पाई अंजाम तक
दरअसल पूर्व में स्वीकृत उक्त रेल लाइन पर निर्माण कार्य शुरू ही नहीं किया जा सका। बता दें कि रेलवे लाइन को स्वीकृति मिलने के उपरांत केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार नहीं बन पाई। लिहाजा उक्त योजना बजट स्वीकृत नहीं होने के चलते अधर में अटक गई।
कथन-
पूर्व में स्वीकृत एस्टीमेट को ही नए सिरे से रिवाइज कर निर्माण कार्य शुरू किया जाना चाहिए था। इससे समय और पैसा बचने के अलावा लोगों का ख्वाब भी समय पर पूरा होता।
डॉ. रामलखन सिंह कुशवाह, पूर्व सांसद भिण्ड-दतिया
कथन-
पुराने एस्टीमेट को रिवाइज कर काम शुरू कराया जाना बेहतर होता। इससे उम्र के आखरी पड़ाव पर पहुंच रहे तबके को भी नई रेल लाइन देखने को मिल सकती थी। डॉ. शैलेंद्र परिहार, सामाजिक कार्यकर्ता