
भिवाड़ी. निर्माण एवं ध्वस्तीकरण (सीएंडडी) वेस्ट से निकले मलबे का कैसे बेहतर उपयोग हो। इसके लिए हाल ही में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बैठक ली और भिवाड़ी नगर परिषद क्षेत्र में सीएंडडी वेस्ट के प्रबंधन और उपयोग को लेकर योजना तैयार करने के निर्देश दिए। सीएंडडी वेस्ट के प्रबंधन के लिए प्लांट की जरूरत होगी जो कि अभी तक परिषद के पास नहीं है। अभी तक ध्वस्तीकरण से निकला ईंट, पत्थर, सीमेंट, रोड़ी का उपयोग बड़े गड्डों को भरने में किया जाता है। आयोग की योजना है कि सीएंडडी वेस्ट का उपयोग दोबारा से नव निर्माण में किया जाए, ध्वस्तीकरण से निकले मलबे से नईं ईंट, रोड़ी सहित अन्य निर्माण सामग्री बनाई जा सके, जिससे कि वेस्ट से बेस्ट किया जा सके। भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र है। यहां बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं, जिनमें नए और पुराने निर्माण हैं। कई बार इकाइयों में जरूरत होने पर पुराने निर्माण को ध्वस्त किया जाता है। ध्वस्त में निकले मलबे को जमीन के नीचे दबाने के साथ डंपिंग साइट पर फेंक दिया जाता है। जिसकी वजह से मलबे का बेहतर उपयोग नहीं होता। ईंट, सीमेंट, रोड़ी ध्वस्त होने के बाद मलबे में मिल जाती है। भिवाड़ी नव विकसित औद्योगिक क्षेत्र है, अभी यहां निर्माण गतिविधियां तेजी से हो रही हैं। पुराना निर्माण तोडऩे के बाद उसका मलबा फेंकने के लिए जगह भी उपलब्ध हो जाती है। अधिकांश मामलों में जमीन के नीचे दबाकर नया निर्माण कर लिया जाता है। दिल्ली मुम्बई जैसे शहरों में सीएंडडी वेस्ट बड़ी चुनौती होता है। ऐसे शहरों में सैकड़ों वर्ष पुराने निर्माण हैं जो कि नियमित रूप से जमींदोज होते रहते हैं। मलबे को हटाना बड़ी चुनौती होती है। ऐसे शहरों में कुछ एक जगह पर प्लांट संचालित हैं। भिवाड़ी में भी सीएंडडी वेस्ट का उपयोग करने के लिए प्लांट लगाने की जरूरत होगी, तभी आयोग की योजना आगे बढ़ सकेगी। प्लांट लगने पर पुरानी सामग्री से नई निर्मित होगी, इससे एक तरफ खनन कम होगा और मलबे का सही उपयोग होगा, अगर तकनीक कारगर हुई तो लागत भी कम आएगी।
Published on:
06 Dec 2025 07:16 pm
बड़ी खबरें
View Allभिवाड़ी
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
