
भिवाड़ी. स्टील फैब्रिकेशन के प्लांट में अवैध रूप से नशे और तनाव दूर करने वाली दवाई (एंजायटी) की दवाएं बनाई जा रही थीं। पूरा कारोबार अवैध रूप से संचालित था। आरोपियों के कब्जे से पुलिस को 60 करोड़ रुपए कीमत का 4.850 किलो अल्प्राजोलम पाउडर, 17.250 किलो टेमाजेपैम प्रेजेपेम और सनसेट यलो एफसीएफ मिला है, जिससे नशे की दवाएं बनाई जाती थीं। अवैध दवाओं के कारोबारी करीब करीब छह सात महीने से नशीली दवाएं बना रहे थे। पहले खुशखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री किराए पर ली। तीन दिन पहले कहरानी औद्योगिक क्षेत्र में शिफ्टिंग की थी। एसपी प्रशांत किरण ने प्रेसवार्ता में बताया कि एसओजी जयपुर, एटीएस गुजरात और थाना फेज तृतीय ने एनडीपीएस में बड़ी कार्रवाई की है। अवैध नशे के कारोबारी अंशुल शास्त्री (41) निवासी गली रंगरेजान राजामंडी आगरा, अखिलेश मौर्य (41) निवासी भैरवपुर संतरविदास नगर और केमिस्ट कृष्ण यादव निवासी चोलापुर वाराणसी को गिरफ्तार किया गयाा है। आरोपी अंशुल और मौर्य केमिकल इंजीनियर है, पूर्व में बड़ी कंपनियों में अच्छे पद पर नौकरी कर चुके हैं। वहीं कृष्ण इनके लिए दवा बनाने का काम करता था। एसपी ने बताया कि आरोपियों ने छह महीने पहले खुशखेड़ा में नशीली दवाएं बनाना शुरू किया था। तीन दिन पहले कहरानी में आए। कच्चा माल कहां से लाते थे, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। पुलिस के अनुसार अभी तक आरोपी दो बैच में तैयार करीब पांच किलो माल खपा चुके होंगे, जिसकी अनुमानित कीमत करीब 14 करोड़ रुपए बैठती है। आरोपियों का पूरा कारोबार अवैध था, ऐसी स्थिति में इनका तैयार माल किस तरह बाजार में खपाया जाता था, इसको लेकर भी पड़ताल की जा रही है। अवैध नशे के कारोबार का भंडाफोड़ होने के बाद पत्रिका ने भी मामले की पड़ताल की, जिसमें निकलकर सामने आया कि कहरानी स्थित पांच सौ वर्गमीटर का एच-13(डी) भूखंड फारुख खान के नाम से आवंटित है। रीको से 12 अक्टूबर 2010 में आवंटन हुआ है। आरोपी ने उक्त भूखंड में 29 दिसंबर 2014 को स्टील फैब्रिकेशन का उत्पादन दिखाया था। इसके बाद रीको से बिना किसी अनुमति के औद्योगिक भूखंड को किराए पर दिया है। नशे के कारोबारियों ने तीन दिन पहले ही उक्त भूखंड को किराए पर लिया था। इससे पहले आरोपी खुशखेड़ा स्थित एच 1/753 में कारोबार संचालित कर रहे थे। वहां पर फर्म का नाम सोलरा हेल्थ केयर था। इसी के नाम से जीएसटी पंजीयन नौ जून को हुआ था। पार्टनरशिप फर्म अखिलेश मौर्य और अंशुल शास्त्री के नाम से पंजीकृत थी। जीएसटी पंजीयन के सात महीने बाद भी कोई जीएसटी रिटर्न जमा नहीं किया है। जबकि कहरानी में जो बोर्ड लगाया गया है उसमें एपीएल फार्माकेम का बोर्ड लगा है। जो जीएसटीआईएन नंबर है वह सोलरा हेल्थकेयर का ही है। इस तरह पुरानी फर्म के जीएसटीआईएन नंबर को अंकित कर नए स्थान पर नई फर्म का बोर्ड लगा रखा था। उक्त मामले का मुख्य आरोपी अंशुल शास्त्री आगरा का रहने वाला है। इससे यह मामला बड़ा हो गया है क्योंकि गत कुछ वर्षों में आगरा में अवैध दवा की कई बड़ी खेप पकड़ी गई हैं। आगरा का फुब्बारा बाजार थोक दवाओं की बड़ी मंडी के रूप में प्रसिद्ध है। आगरा के आसपास के एक दर्जन जिलों में यहीं से दवाओं की आपूर्ति होती है। बीते कुछ समय में यहां बड़े पैमाने पर नकली दवाएं मिली हैं और सरकारी एजेंसियों ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। करोड़ों का माल पकडऩे के साथ कई जनों को गिरफ्तार किया गया है। अंशुल शास्त्री का नाम आने के बाद आगरा से जुड़ी एजेंसियां भी सक्रिय हो गईं।
Published on:
30 Dec 2025 06:40 pm
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