
भिवाड़ी. अरावली के पहाड़ संरक्षण को लेकर मामला गर्म है। इस बीच टपूकड़ा का पाटन खुर्द और पाटन कला गांव बना अवैध खनन का नया सेंटर बन गया है। रात को आठ बजते ही यहां ब्लास्टिंग शुरू हो जाती है। पास में स्थित क्रेशर पर ग्रामीण ट्रैक्टर ट्रॉली से अवैध खनन के पत्थर पहुंचाते हैं। सैकड़ो फीट ऊंचे पहाड़ों का नामोनिशान मिटने के कगार पर है। कई पहाड़ अवैध खनन की वजह से 20 फीट गहरी खाई बन चुके हैं। अवैध खनन से प्रभावित कुछ ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अवैध खनन एक महीने से धड़ल्ले से शुरू हुआ है। उससे पहले गांव के पहाड़ों पर कोई अवैध खनन नहीं हुआ था। अवैध खनन में ग्रामीण भी मिले हुए हैं। वे ब्लास्टिंग करने के बाद खुद के ट्रैक्टर ट्रॉली में जेसीबी की मदद से पत्थर भरकर ले जाते हैं क्रेशर पर बेच देते हैं। एक ट्रैक्टर-ट्रॉली पहाड़ से 1600 रुपए में भरते हैं और क्रेशर पर तीन हजार रुपए में बेच देते हैं। पूरी रात यही घटनाक्रम चलता रहता है। करीब 50 ट्रैक्टर ट्रॉली से अवैध खनन का पत्थर ढोया जाता है। सुबह छह सात बजे तक ब्लास्टिंग की आवाज आसपास में आती रहती हैं। इस तरह कई जन अवैध खनन के कारोबार से खूब फल फूल रहे हैं, लाखों रुपए रोजाना कमा रहे हैं। अवैध खनन के पत्थर ढोने की वजह से गांव को जाने वाला रोड भी टूट चुका है। रोड में गड्डे हो चुके हैं। गैलपुर से पाटन जाने वाला पांच किमी रोड की स्थिति बहुत खराब है। अवैध खनन की वजह से यहां से ग्रामीणों का निकलना मुश्किल होता है, रोड पर धूल उड़ती रहती है। ग्रामीणों ने बताया कि अवैध खनन पुलिस प्रशासन, वन और खनन विभाग के संरक्षण में फल फूल रहा है। कई बार यहां जिम्मेदार विभागों के अधिकरियों की गाडिय़ां आती हैं लेकिन अवैध खनन पर रोक नहीं लगती। अवैध खनन करने वाले ग्रामीणों को समझाते हैं कि आधा पहाड़ वन विभाग का है जिसे हम तोड़ नहीं रहे। आधे को तोडऩे की इजाजत है। रातभर ब्लास्टिंग के धमाके होते रहते हैं। जिसकी वजह से पहाड़ के आसपास में रहने वाले ग्रामीण डर के साए में रात गुजारते हैं। उन्हें हादसे की आशंका बनी रहती है।
Published on:
31 Dec 2025 06:38 pm
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