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डीएलपी में गड्डे वाली सडक़ें, उड़ती धूल और हिचकोले खाते वाहन

खराब सडक़ों से बिगड़ती उद्योग क्षेत्र की छवि, नए निवेशक होते हैं हताश

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भिवाड़ी. करोड़ों रुपए की लागत से सडक़ बनती है। समय से पहले सडक़ उखड़ जाती है। उसमें गड्डे हो जाते हैं। टूटी सडक़ के रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित निर्माण एजेंसी की होती है। डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड (डीएलपी) में निर्माण एजेंसी को सडक़ की सार संभाल करनी होती है। इसकी जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होती है कि वह सडक़ के टूटने, उखडऩे और छतिग्रस्त होने पर संबंधित एजेंसी से रखरखाव कराए लेकिन जिम्मेदार विभाग टेंडर लगाकर सडक़ निर्माण पर ही ध्यान देते हैं। एक बार निर्माण के बाद सडक़ की क्या स्थिति है, उससे गुजरने वाले वाहन चालकों को क्या परेशानी हो रही है। टूटी सडक़ से कितनी धूल उड़ रही है इसकी सुध नहीं ली जाती। एक तरह से कई बार डीएलपी को निकालने की कोशिश की जाती है। फूलबाग चौक से हरचंदपुर को जानी वाली सडक़ कई जगह से उखड़ चुकी है। यह औद्योगिक क्षेत्र की प्रमुख सडक़ में से एक है। रेवाड़ी पलवल हाईवे से फूलबाग चौक होकर भारी वाहन औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। उक्त सडक़ पर डीएसपी, आरपीसीबी, महिला थाना, रीको फायर स्टेशन होने के बावजूद कई महीने से उखड़ी सडक़ से धूल के गुबार उड़ते हैं। जिम्मेदार अधिकारी यहां से होकर गुजरते हैं, इसके बावजूद सडक़ का रखरखाव नहीं हो रहा है। सडक़ पर गड्डे होने, भारी वाहन निकलने की वजह से दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्र के अन्य हिस्से में भी कई सडक़ उखड़ चुकी है, इनका भी रखरखाव डीएलपी में होना चाहिए लेकिन संबंधित विभाग इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में सडक़ों की खस्ता हालत देखकर नए निवेशक हतोत्साहित होते हैं। बाहर से आने वाले निवेशक जब औद्योगिक क्षेत्र का भ्रमण करते हैं, उखड़ी सडक़ों से खराब संदेश जाता है। इसके साथ ही यहां औद्योगिक इकाई चलाने वाले उद्यमियों को भी उखड़ी सडक़ों से परेशानी झेलनी पड़ती है। बाहर से आने वाले भारी वाहन हिचकोले खाते हैं, उनके फंसने के साथ दुर्घटना की आशंका रहती है। यहां से माल लादकर दूसरे शहर में जाने वाले भारी वाहनों को भी परेशानी होती है। इसके साथ ही उखड़ी सडक़ पर धूल उडऩे से प्रदूषण की बड़ी समस्या उभरती है। सडक़ पर चलने वाले दो पहिया और राहगीरों को उड़ती धूल बीमार करती है।