
10-Lane ayodhya bypass construction trees cutting protest (फोटो- Patrika.com)
10-Lane Ayodhya Bypass Construction:भोपाल में अयोध्या बायपास के निर्माण के नाम पर पेड़ों की कटाई के मामले में नगरनिगम और नेशनल हाइवे अथॉरिटी (NHAI) कठघरे में है। जहां निगम का दावा था कि उसे एनजीटी के कटाई पर रोक का आदेश दूसरे दिन मिला। वहीं, याचिकाकर्ता से जुड़े अधिवक्ता तर्क है कि सुखी सुनवाई हुई, इसलिए ऑर्डर के इंतजार की बात बेमानी है। (mp news)
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 22 दिसंबर को पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का आदेश पारित कर दिया था। लेकिन एनएचएआइ और नगरनिगम (Bhopal Nagar Nigam) की टीम 24 दिसंबर तक कटाई करती रही। इन दो दिनों में तीन हजार से अधिक पेड़ों का कत्लेआम कर दिया गया। विशेषज्ञों की माने तो जितने पेड़ काटे गए उनसे भोपाल शहर को हर साल 450 टन ऑक्सीजन मिल रही पर्यावरणविदों का दावा है कि इसकी भरपाई आने वाले 20 साल में भी नहीं की जा सकेगी।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने अयोध्या बायपास को 10 लेन बनाने के लिए 7871 पेड़ों को काटने (trees cutting) की जरूरत बताई है। न्यायालय ने इस मामले में उच्च स्तर पर परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। इस निर्देश की आड़ में अपर चीफ सेक्रेटरी संजय दुबे की अध्यक्षता वाली कमेटी ने पेड़ काटने की अनुमति जारी कर डाली। इससे पहले की पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने वाली संस्थाएं और नागरिक स्टे ऑर्डर लेकर आते। नगर निगम ने रातों रात 3000 से अधिक पेड़ काट दिए बाकी पेड़ों का क्या होगा, भविष्य में होने वाली सुनवाई में तय होगा।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पर्यावरण संरक्षण के लिए याचिका लगाने वाले एक्सपर्ट सुभाष सी पांडे ने बताया कि निर्माण एजेंसियों ने अयोध्या बायपास के जिस हिस्से पर वृक्षों का कत्लेआम किया है उनकी आयु 30 से 35 वर्ष और कई वृक्ष इससे भी ज्यादा पुराने थे। 40 से 45 फीट और पर्याप्त चौड़ाई वाले ऐसा एक वृक्ष 1 साल में औसत रूप से 150 किलोग्राम ऑक्सीजन पैदा करता है। यदि यह गणित 3000 पेड़ों पर लागू किया जाए तो प्रतिवर्ष 450000 किलोग्राम यानी 450 टन ऑक्सीजन प्रतिवर्ष पैदा हो रही थी जो भविष्य में अब नहीं होगी।
अयोध्या बायपास पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की रोक के बावजूद नगर निगम ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए दो दिनों के भीतर तीन हजार से अधिक हेरिटेज पेडों को काट दिया। इस 'पर्यावरणीय नरसंहार' के खिलाफ जब शहर के प्रमुख पर्यावरणविद नगर निगम कमिश्नर से मिलने पहुंचे, तो उन्होंने मिलना तक उचित नहीं समझा।
डॉ. सुभाष सी पांडेय, अरुणा शर्मा और सुनील दुबे समेत अन्य पर्यावरणविदों ने निगम पर गंभीर आरोप लगाए। ज्ञापन में कहा कि जिस निगम के आज तक वृक्षारोपण और ट्रांसप्लांटेशन के सारे प्रोजेक्ट फेल रहे, उसने पेड़ों को काटने में 'सुपरफास्ट तत्परता दिखाई। यह तत्परता निगम अधिकारियों के सीधे भ्रष्टाचार और कोर्ट के प्रत्ति असम्मान को प्रदर्शित करती है। (mp news)
Published on:
27 Dec 2025 07:10 am
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