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घर से बाहर निकलते ही लगा 100 का फटका, दौड़ते-भागते नजर आए लोग

अचानक बाजार में पहुंचे एसडीएम, सीएसपी और सीएमओ ने शुरू करवाई कार्रवाई

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घर से बाहर निकलते ही लगा 100 का फटका, दौड़ते-भागते नजर आए लोग

घर से बाहर निकलते ही लगा 100 का फटका, दौड़ते-भागते नजर आए लोग

गुना. मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना केसेस के चलते प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट हो गया है, बुधवार रात को जैसे ही बाजार में लोग बगैर मास्क नजर आए, उनका फट से चालान काट दिया गया, ऐसे में कई लोग मास्क नहीं लगाए होने पर दौड़ते भागते नजर आए, ताकि उनका चालान नहीं बनें, लेकिन अगर आप भी चालान नहीं बनवाना चाहते हैं और अपने स्वास्थ्य के प्रति भी गंभीर हैं, तो अब बगैर मास्क के बाहर नहीं निकलें, क्योंकि पता नहीं कब आपका नंबर भी आ जाए।

नए साल का जश्न मनाने के बारे में अभी लोग सोच ही रहे थे। ऐसे समय में प्रदेश में बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमण ने शासन-प्रशासन के साथ-साथ आमजन की चिंता बढ़ा दी है। इसके संकेत तो मुख्यमंत्री ने नाइट कफ्र्यू का ऐलान कर दे दिए थे, लेकिन इसके बाद इंदौर और भेापाल में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए अन्य जिलों के साथ-साथ गुना प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

अधिकारियों को देख दुकानदार और ग्राहकों में हड़कंप

इसका नजारा रात को शहर के बाजार में देखने को मिला। जब अचानक एसडीएम, सीएसपी और नपा सीएमओ शहर के प्रमुख बाजार में पहुंच गए। यहां अचानक एक साथ अधिकारियों को देख दुकानदार और ग्राहकों में हड़कंप की स्थिति निर्मित हो गई। अधिकारियों के साथ मौजूद नपा टीम ने बिना मास्क लगाए लोगों के चालान काटना शुरू कर दिए।

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भाग खड़े हुए लोग, 53 लोगों के बनाए चालान
इस दौरान कुछ लोग तो मौका देखकर भाग गए। फिर भी टीम ने 53 लोगों पर कार्रवाई अंजाम दी। इनमें बिना मास्क घूम रहे नागरिक, दुकानदार शामिल रहे। यहां बता दें कि नपा ने मास्क न लगाने वालों पर कार्रवाइ्र्र करने के लिए तीन टीमें गठित कर ली हैं, जो हर दिन जयस्तंभ चौराहा, हाट रोड और निचला बाजार में चालानी कार्रवाई अंजाम देगी। इसलिए अब बिना मास्क के घर से बाहर न जाएं। जानकारी के मुताबिक अब तक भले ही गुना जिला कोरोना संक्रमण से मुक्त बना हुआ है। लेकिन प्रदेश के इंदौर और भोपाल में पिछले 22 दिसंबर से अब तक प्रतिदिन जितनी संख्या में केस सामने आए हैं। इस रफ्तार ने गुना जिला प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसकी एक नहीं बल्कि कई वजह सामने आई हैं। सबसे पहले तो मौजूदा समय में कहीं भी कोविड गाइड लाइन का पालन नजर नहीं आ रहा है। 95 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो घर से बाहर निकलते समय मास्क नहीं लगा रहे हैं। भीड़ वाले स्थानों पर सोशल डिस्टेंस नाम की कोई व्यवस्था नहीं बची है। जिले की सीमा, बस स्टैंड-रेलवे स्टेशन पर स्क्रीनिंग भी नहीं हो रही है।

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इंतजामों की ये है जमीनी हकीकत
स्वास्थ्य महकमा और जिला अस्पताल प्रबंधन कागजों में ही शासन के निर्देशों का पालन कर रहा है। पत्रिका ग्राउंड रिपोर्ट में जो हकीकत सामने आई है वह चौंकाने वाली है। शासन ने ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद जिले में सैंपलिंग की संख्या एक हजार प्रतिदिन करने के निर्देश दिए थे। इसमें 700 आरटीपीसीआर जांच के लिए सैंपल ग्वालियर भेजना है। 300 रैपिट एंटीजन किट से जांच की जानी है, लेकिन इसे विभाग पूरा नहीं कर पा रहा है। यह स्थिति तब है जब विभाग के अनुसार जिले में 23 फीवर क्लीनिक एक्टिव हैं। यहां बता दें कि इन फीवर क्लीनिकों पर जब लोग सैंपल देने खुद पहुंचते हैं तो उन्हें अधिकांश समय स्टाफ ही नहीं मिलता। जिस अमले की ड्यूटी रेंडम सैंपलिंग करने के लिए लगाई गई है वह भीड़ वाले स्थानों को छोड़ स्कूलों में जाकर कक्षा में बैठे सभी विद्यार्थियों के सैंपल लेकर टारगेट पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। हकीकत में देखा जाए तो बाहर से आने लोगों का सैंपल किया जाना चाहिए। हालात ये हैं कि अस्पताल में ही सैंपलिंग नहीं हो रही है।