
भोपाल. शहर में कुतुब मीनार की तरह नजर आने वाली इस चिमनी की करीब दस फीट तक सीढिय़ां टूट गई है। इसके आसपास मलबा ही नहीं पटका जा रहा है, बल्कि रहवासी क्षेत्र में इसकी जद में आ चुका है। ऐसे जर्जर होती मिनार इतिहास में विलुप्त ही नहीं हो जाएगी, बल्कि जनहानि का कारण भी बनेगी।
बताया गया कि भोपाल में औद्योगीकरण की शुरुआत यहां से हुई थी। इसकी ऊंचाई करीब सौ फीट है। पुराने शहर में पुतलीघर क्षेत्र में यह स्थित है। यहां इतिहास संबंधी लगा बोर्ड तक गायब हो चुका है। इसके परिसर में बस स्टैंड का कबाड़ ही नहीं पड़ा रहता है। , बल्कि आवास भी बनते जा रहे हैं और गंदगी भी बढ़ती जा रही है। बड़े बाग निवासी पूर्व जनप्रतिनिधि शाहीद अली ने बताया कि पहले लोग खुली सीढिय़ों पर चढ़ जाते थे। स्थानीय लोगों ने ही सुरक्षा के लिहास से इसकी एक मंजिल तक ऊंचाई की सीढिय़ों को तोड़ दिया। लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर कोई कदम प्रशासन नहीं उठा रहा है।
पार्क विकसित करने की मांग
इसकी ऊंचाई सौ फीट भी ज्यादा है। इसके अंदर पहले ऊपर तक जाने सीढिय़ां थी। जो निचले हिस्से से तोड़ दी गई। तोडफ़ोड़ के पीछे सुरक्षा को कारण बताया गया। इस परिसर के हिस्से में अब कंडम बसें और उनका कबाड़ जमा होता है। यहां पार्क विकसित करने मांग उठाई गई है।
पहले कारखाने का गौरव
ये मीनार नुमा चिमनी वो स्मारक है जिसे भोपाल रियासत का सबसे पहला उद्योग होने का गौरव प्राप्त है। बताया कि 1890 में कारखाने के रूप में सात लाख रुपए की लागत से विकसित किया गया था। जिसमें मशीनें भी लगाई गई थी। जिनसे रूई के सामान बनाने के अलावा आटा भी पीसा जाता था।
वैसे तो शहर में कई ऐतिहासिक धरोहरें हैं। उनकी पहचान के लिए बोर्ड लगाने की मुहिम विभाग ने पहले शुरू की थी। यहां बोर्ड है या नहीं इसे दिखवाना पड़ेगा।
-आशुतोष उर्पित, पुरातत्व अधिकारी, राज्य पुरातत्व संग्राहलय
Published on:
22 Jan 2022 02:22 pm
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