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देश के मात्र 63 खदानों से हर माह निकल रही है 14 सौ खदानों की रेत

- 43 रेत खदान समूहों में मई से पहले रेत उत्खनन मुश्किल- एक साल में 1 करोड़ 80 लाख घनमीटर वैध रेत का करोबार

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भोपाल

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Ashok Gautam

Nov 04, 2019

48 रेत खदानों की होगी नीलामी, 21 करोड़ ऑफसेट वैल्यू तय

48 रेत खदानों की होगी नीलामी, 21 करोड़ ऑफसेट वैल्यू तय

भोपाल। प्रदेश के 14 सौ खदानों के रेत की आपूर्ति मात्र 63 खदानों से हो रही है। इसमें 35 खदानें खनिज निगम और 28 खदानें पंचायतों की हैं। सरकारी आंकड़े के अनुसार प्रति वर्ष करीब 1 करोड़ 80 लाख घनमीटर रेत का वैध उत्खनन किया जाता है।

प्रदेश निर्माण कार्यों के लिए हर माह 15 से 18 लाख घन मीटर रेत की जरूरत होती है। इसके चलते प्रदेश में रेत की कमी की संभावना बढ़ गई है। इससे सरकार को भी हर माह करोड़ों रुपए की राजस्व हानि होगी।
निजी जमीन पर खदानों को चालू होने में अभी दो से तीन माह का समय लगेगा।

क्योंकि जिन किसानों की खेत में रेत हैं उसे उत्खनन के लिए उन्हें कलेक्टरों के पास आवेदन देने, माइनिंग प्लान बनवाने, पर्यावरण और सरकार की स्वीकृति मिलने में समय लगेगा। अगर पांच हेक्टेयर से अधिक की खदान होगी तो खदान संचालक को पर्यावरण इंपेक्ट असेसमेंट भी कराना पड़ेगा। इसी तरह से नई खदानों 43 समूहों को चालू होने में मई तक का समय लगेगा। खदानों का अवंटन दिसम्बर तक किया जाएगा और तीन से चार माह माइनिंग प्लान और पर्यावरण की अनुमति लेने में लगेगा। इसके बाद एनजीटी के निर्देशानुसार जून से तीन-चार माह के लिए मछली के प्रजनन काल के चलते जून से तीन-चार माह के लिए रेत उत्खनन पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। इससे एक साल बाद ही करीब 60 फीसदी रेत खदाने चालू हो पाएंगी।

समाप्त हो रही भंडार की रेत
शहर के आस-पास भंडारित की गई रेत अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। रेत की खदाने बंद होने और भंडारण से रेत समाप्त होने के कारण रेत की किल्लत अभी से शुरू हो गई है। इसके चलते रेत के दाम भी बढऩे की संभावना है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव भोपाल, इंदौर, जबलपुर ग्वालियर जैसे बड़े शहरों में पड़ेगा। रेत की कमी के चलते निर्माण कार्य भी प्रभावित होंगे, उसकी लागत राशि भी बढ़ जाएगी।

50 से कम हैं निजी जमीनों पर रेत खदाने
सभी जिलों में निजी जमीन पर रेत उत्खनन के लिए कलेक्टरों के पास करीब 50 आवेदन आए हैं। इन खदानों में रेत की काफी कम मात्रा बताई जा रही है। क्योंकि खेतों में बाढ़ के पानी के साथ रेत पहुंचती हैं। इससे निजी जमीन पर एक घन मीटर से कम गहराई में रेत उपलब्ध है।

हालांकि कलेक्ट्रेट में निजी जमीन पर रेत उत्खनन के जितने आवेदन आ रहे हैं उनकी स्वीकृति के लिए कलेक्टर प्रस्ताव तैयार कर उसे शासन के पास भेजते जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण की अनुमति मिलने के बाद खदानों को तत्काल चालू किया जा सके।

तीन साल में चार करोड़ घनमीटर रेत बेचेगी सरकार
साढ़े 14 सौ खदानों की नीलामी इसी हफ्ते से

सरकार तीन साल के अंदर करीब चार करोड़ घन मीटर रेत बेचेगी। जबकि इसके पहले डेढ़ लाख घन मीटर रेत नीलाम की जाती थी। खनिज विभाग ने प्रदेश के साढ़े 14 सौ खदानों की नीलामी करने का प्रस्ताव सीएम सचिवालय में दो दिन पहले ही भेजा है।

नीलामी और टेंडर नियम तैयार कर लिए गए हैं। रेत खदानों की नीलामी 2022 तक के लिए जारी की जाएगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ की सहमति मिलने के बाद रेत खदान की ऑन लाइन नीलामी इसी हफ्ते से शुरू होगी।
प्रदेश के सिर्फ 44 जिलों में रेत की उपलब्धता है। नए नीति के अनुसार रेत की नीलामी जिला स्तर पर की जाएगी। साढ़े 14 सौ रेत खदानों के लिए करीब 43 जिलों क्लस्टर बनाए हैं।

भोपाल और इंदौर सहित 8 जिलों में रेत की उपलब्धता नहीं है। रेत का उत्खनन का ठेका तीन साल के लिए दिया जाएगा। ठेकेदारों को रेत उत्खनन का हिसाब-किताब हर माह खनिज विभाग को देना पड़ेगा। रेत की टीपी ऑन लाइन के साथ ही मैनुयल भी जारी की जाएगी। टीपी में रेत बिक्री मात्रा से लेकर ट्रक नम्बर, रेत कहां जा रही है, खरीददार का नाम भी उल्लेख किया जाएगा।

अवैध उत्खनन रोकने बनाया क्लस्टर

खनिज विभाग ने रेत के अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन रोकने के लिए जिला स्तर पर क्लस्टर बनाने बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। जिले की सभी खदाने एक ही ठेकेदार के पास होने से ठेकेदार खुद रेत चोरी रोकने का प्रयास करेगा। बिना ठेकेदार की सहमति के कोई भी रेत नदी से नहीं निकाल पाएगा। अगर कोई चोरी छिपे निकालने की कोशिश भी करता है तो वह इसकी सूचना पुलिस को देगा।

50 लाख से 100 करोड़ में ठेका

खनिज विभाग ने होशंगाबाद, जबलपुर जैसे बड़े रेत खदान क्लस्टरों की न्यूनतम कीमत सौ करोड़ रुपए आंकी है। वहीं कई जिलों में जहां रेत की कीमत कम है, वहां के रेत क्लस्टरों की 30 लाख से 50 लाख रुपए प्रारंभिक कीमत तय की है। सबसे ज्यादा रेत नर्मदा और उसकी सहायक नदियों में है। जिन नदियों में रेत की मात्रा कम हैं और उसे नीलाम नहीं किया जा रहा है उस रेत पर अधिकार खनिज विभाग का रहेगा।