scriptसोसायटी में प्लॉट आवंटन में 22.70 करोड़ गबन, दो खाते खोल कर निकाली रकम | 22.70 crore embezzlement in plot allocation | Patrika News

सोसायटी में प्लॉट आवंटन में 22.70 करोड़ गबन, दो खाते खोल कर निकाली रकम

locationभोपालPublished: Dec 14, 2019 11:31:27 am

– सीएम के आदेश के बाद भोपाल में चर्चित सोसायटी में प्लॉट दूसरो को बेचने वाले भू-माफिया पर कार्रवाई, – वकील और लेखापाल पर भी एफआईआर, वर्षों से संघर्ष कर रहे लोगों को जागी आस

 आवास

पुलिसकर्मियों के लिए नए आवास बनकर तैयार लोकार्पण के लिए नेताओं के पास समय नहीं

भोपाल. शहर की चर्चित रोहित गृह निर्माण सोसायटी में पिछले 16 साल में हुए प्लॉट आवंटन घोटाले में 22.70 करोड़ के गबन की एफआईआर ईओडब्ल्यू ने की है। आरोप है कि सोसायटी के सदस्यों के साथ कई धोखाधड़ी की कई घटनाएं हुईं, जिससे असली हकदार रह गए। सदस्यों से भूखंड आवंटन के नाम पर बड़ी राशि ड्राफ्ट के माध्यम से लेकर संस्था के दो बैंक खाते से अवैध रूप से आहरहित कर खुर्द-बुर्द की गई।

जिसमें कुल 22.70 करोड़ का लेनदेन हुआ है। इस फर्जीवाड़े को छिपाने के लिए वकील एवं लेखापाल की मदद से दस्तावेज भी गायब किए गए। जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है उनके नाम तुलसीराम चंद्राकर, मो.अयूब खान, घनश्याम सिंह राजपूत, श्रीकांत सिंह, केएस ठाकुर, एलएस राजपूत, बसंत जोशी, सुरेंद्रा, ज्योति तारण, अमरनाथ मिश्रा, अनिल कुमार, रेवत सहारे, अमित ठाकुर, एमडी सालोडकर, गिरीशचंद्र कांडपाल, अरुण भागोलीवाल, बाल किशन निवावे, सीएस वर्मा, सविता जोशी, सुशीला पुरोहित, रामबहादुर, सीमा सिंह, वकील सुनील चौबे और लेखापाल राकेश प्रताप व अन्य शामिल हैं। ये सभी 16 नवंबर 2005 के बाद समिति के संचालक मंडल में कहीं न कहीं रहे हैं।

सरकारी बदलने के बाद आई जांच में तेजी

रोहित गृह निर्माण सोसायटी की जांच में सरकार बदलने के बाद तेजी आई। सरकार ने इस सोसायटी में हुए भ्रष्टाचार को लेकर जांच शुरू कराई। इसके बाद सहकारिता विभाग के अधिकारी बदले और पुरानी फाइलें खंगाली गईं। वर्ष 2003 से लेकर 2013 के बीच के अध्यक्ष और सदस्य मंडल में शामिल लोगों को नोटिस जारी कर बुलाया गया। सभी ने रेकॉर्ड न होने की बात कही, बाद में सीबीआई से रेकॉर्ड मिल गया। जिसमें बयान और जांच के बाद इन लोगों को दोषी पाया गया। विभाग के अधिकारियों ने रिपोर्ट बनाकर सहकारिता मंत्री को सौंप दी। उसी रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है।

जांच में ये आया सामने

– इस तरह डली नींव: तत्कालीन संस्था के संचालन मंडल की बैठक 3 फरवरी 2012 को हुई जिसमें दो खाते खोलने पर सहमति बनी। संस्था का खाता टीटी नगर स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में एक चालू और एक बचत खाता खोला गया। संचालन के लिए तत्कालीन अध्यक्ष रामबहादुर और प्रबंध संचालक डीडी निनावे को अधिकृत किया गया। 11 जनवरी 2017 को रामबहादुर के आवेदन पर ये खाते बंद कर दिए गए।

– इस तरह हुआ लेनदेन: बैंक से मिली जानकारी के अनुसार टीटी नगर शाखा से एक खाते से 18.55 करोड़ और दूसरे से 4.15 करोड़ का लेन देन किया गया। जो वर्ष 2012-13 से 2016-17 के बीच हुआ। जिस तरह से राशि निकाली वो गंभीर गड़बड़ी और पषयंत्र पूर्वक निकाली गई।

– इस तरह नष्ट किए सुबूत: संस्था के दंस्तावेजों के संबंध में की गई जांच से पता चला कि तत्कालीन प्रभारी अधिकारी आरके पाटिल ने अपने पत्र 26 फरवरी 2008 में बताया कि नामांकित कमेटी के अध्यक्ष एमके सिंह ने अपने दस्तावेज नहीं दिए। कर्मचारियों ने बताया कि नामांकित कमेटी एक या दो बार ही आई। इनके स्थान पर पूर्व संचालक घनश्याम राजपूत और वकील सुनील चौबे संस्था में आकर अभिलेख अपने साथ ले जाते थे। रसीद कट्टे भी ले गए और षणयंत्र पूर्वक पष्ट कर दिए।

– लेखापाल की ये भूमिका रही: राकेश प्रताप के पास संस्था के अभिलेख थे और खुद के द्वारा कोरे चैकों पर साइन किए गए। जो बाद में नष्ट कर दिए गए। – चचेरे भाई हैं: जेके जैन, योगेश पुर्सवानी और प्रेमकिशोर चौरसिया ने अपने बयान में बताया कि रामबहादु, घनश्याम सिंह राजपूत का चचेरा भाई है जो उसके स्थान पर हस्ताक्ष करता है। खुद पीछे रहकर रामबहादुर को आगे करता है। बैंक खाते में भी धनश्याम का मोबाइल नंबर पड़ा है। इस पर घनश्याम से चर्चा होती थी।

अब आगे ये
—129 रजिस्ट्री शून्य कराने पांच करोड़ होंगे खर्च प्लॉट आवंटन घोटाले के दागों को धोने के लिए पांच करोड़ रुपए का खर्चा आ रहा है। सहकारिता उपायुक्त ने जांच में डिफॉल्टर मिलीं 129 प्लॉट की रजिस्ट्री शून्य कराने के लिए पांच करोड़ रुपए स्टाम्प शुल्क पर खर्च होने संबंधी पत्र अक्टूबर माह में शासन को लिखा है। पिछले 12 साल से सोसायटी के पीडि़त न्याय की आस लगाए बैठे हैं। ये रजिस्ट्रियां 2003 से 13 के बीच में हुईं हैं। जिन प्लॉटो की रजिस्ट्री शून्य कराने के लिए पत्र लिखा है उन प्लॉटों की कीमत उस समय 15 से 20 लाख के आस-पास थी।

बावडिय़ा कलां और होशंगाबाद की लोकेशन पर हैं प्लॉट
सोसायटी के ज्यादातर प्लॉट बावडिय़ा और होशंगाबाद रोड की लोकेशन के हैं। वर्तमान कलेक्टर गाइडलाइन में इन प्लॉटों की कीमत 40 से 50 लाख के करीब हो गई है। रजिस्ट्री शून्य कराने में किसी में पांच तो किसी प्लॉट में आठ फीसदी स्टाम्प शुल्क चुकाना है। नियमानुसार इस राशि का खर्चा सोसायटी के खाते से जाना चाहिए, लेकिन जांच में खाता खाली मिला है। सोसायटी के जिम्मेदारों ने 2005 से ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी ही नहीं दी थी। जांच में पूर्व के 25 अध्यक्ष और सदस्यों को नोटिस जारी कर बयान लिए गए हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो