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रात में जिंदा जले 4 बच्चे, सुबह दो और नवजातों की मौत, कई गायब, बच्चों को ढूंढ रहे बिलखते माता-पिता

हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल की तीसरी मंजिल पर हुआ हादसा, 40 बच्चों को बचाया, मंगलवार सुबह भी कई परिजन अपने बच्चों को तलाश कर रहे हैं, जिम्मेदारों की अनदेखी  

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कई परिजन अपने बच्चों को तलाश कर रहे हैं

भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अस्पताल में आग लगने से चार बच्चे जिंदा जल गए. हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू अस्पताल के पीडियाट्रिक वार्ड में सोमवार रात यह हादसा हुआ. भीषण आग से तीन मंजिला अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई थी. इस घटना में 40 बच्चों को सुरक्षित बचा लिया गया है लेकिन कई बच्चों का कुछ अता—पता नहीं है. मंगलवार सुबह भी कई परिजन अपने बच्चों को तलाश कर रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चों का कुछ पता ही नहीं चल रहा है. जिम्मेदारों की लापरवाही से यह हादसा हुआ क्योंकि इससे पहले भी परिसर में तीन बार आग लग चुकी थी.

Update 10.30 AM— हमीदिया में मंगलवार सुबह दो और नवजातों की मौत.

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया के कैम्पस में बने कमला नेहरू गैस राहत हॉस्पिटल में सोमवार रात 9 बजे आग लग गई थी। आग अस्पताल की तीसरी मंजिल पर बच्चा वार्ड के SNCU में लगी। यहां 40 बच्चे भर्ती थे। बिजली लाइन में शॉर्ट सर्किट हुआ और पीडियाट्रिक वेंटिलेटर ने आग पकड़ ली। फिर ये आग उस वॉर्मर तक पहुंच गई, जिसमें बच्चों को रखा गया था। चारों तरफ बंद होने के कारण आग और धुआं पूरे परिसर में भर गया। हालत यह थी कि मोबाइल टॉर्च की रोशनी भी वहां काम नहीं कर रही थी।

स्टाफ ने वार्ड में रखे फायर एक्सटिंग्यूशर से आग बुझाने की कोशिश की लेकिन आग और धुंआ ज्यादा होने के कारण स्टाफ को भारी परेशानी हुई। धुंए को निकालने आनन- फानन में खिडकियां तोडकर बच्चों को दूसरे फ्लोर पर ले जाया गया लेकिन तब तक 4 बच्चों की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग, संभागायुक्त गुलशन बामरा मौके पर पहुंचे। डीआईजी इरशाद वली भी मौके पर पहुंचे और गुस्साई भीड़ को नियंत्रित किया। मौके पर मौजूद परिजनों और लोगों ने वहां जमकर हंगामा किया।

आग लगने की सूचना के बाद बाहर बैठे परिजन भी वार्ड में घुस गए और बच्चों को बचाने के लिए खिड़कियां तोड़ने लगे। परिजनों को भी पता नहीं चल रहा था कि उनका बच्चा कहां एडमिट है, बस वह लोग बदहवास बच्चों को उठाकर इधर-उधर दौड़ रहे थे। एक परिजन ने बताया कि मेरा चार दिन का बच्चा है। मैं बच्चे के लिए मां का दूध लेने सुल्तानिया गया हुआ था। इधर से बहन ने फोन किया कि अस्पताल में आग लग गई है। मैं दौड़ता-भागता वार्ड में पहुंचा तो देखा चारों तरफ धुंआ ही धुंआ भरा हुआ था। मैंने हाथों से खिड़कियों के कांच तोडने शुरू कर दिए।

हादसा नहीं, हत्या! 6 महीने में तीसरी घटना पर नहीं उठाए कदम
इस हादसे में जिम्मेदारों की गंभीर लापरवाही सामने आई है. पीडियाट्रिक वार्ड में आग लगने की 6 महीने में तीसरी घटना है। इससे पहले भी दो बार इसी जगह पर जगह पर शॉर्ट सर्किट हो चुका है। इससे पहले आईसीयू में लगे पंखे में शार्ट सर्किट के बाद आग लगाई थी। उस दौरान भी वार्ड में धुआं भरने पर बच्चों को यहां वहां शिफ्ट किया गया था।

सभी उपकरण खराब
इन घटनाओं के बाद भी जिम्मेदारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया. बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर आठ मंजिल के कमला नेहरू अस्पताल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे। फायरकर्मियों ने अस्पताल में लगे ऑटोमेटिक हाईड्रेंट को देखा तो वो खराब पड़ा था। हर फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्विशर तो थे लेकिन काम नहीं कर रहे थे। हमीदिया अस्पताल ने फायर NOC ली थी, लेकिन कमला नेहरू अस्पताल ने 15 साल से NOC नहीं ली है.

आग लगने से चार बच्चों की मौत के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे पर दुख जताया. मृत बच्चों के माता-पिता को चार-चार लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा की है. हादसे की जांच के आदेश भी दिए गए हैं. प्रदेश के अतिरिक्त चीफ सेक्रेटरी मो. सुलेमान को इसकी जांच सौंपी गई है.

प्रदेश के चिकित्सा शिक्षामंत्री विश्वास सारंग के मुताबिक जिस वक्त आग लगी, उस समय 127 बच्चे वार्डों में भर्ती थे। हादसे में 4 बच्चों की मौत हुई है, जबकि 36 को रेस्क्यू कर लिया गया। 3 नर्स और एक वार्ड बॉय भी बेहोश हो गए थे। हादसे के बाद 6 बच्चों को जेपी अस्पताल शिफ्ट करवाया है। रात साढ़े 12 बजे फायर ब्रिगेड और पुलिस की टीम ने आग पर काबू पाया।