
missing case in bhopal (फोटो सोर्स : पत्रिका)
MP News: लाड़ली बहनों के प्रदेश में महिलाओं और बेटियों के गुम होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी भोपाल के अलग-अलग थानों में रोजाना बड़ी संया में मिसिंग के केस दर्ज हो रहे हैं। बीते दो दिन में ही पांच से ज्यादा लड़कियां लापता(Missing) हो गईं। इसमें तीन अन्य नाबालिगों के साथ दो सगी बहनें भी शामिल हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या राजधानी महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित है। वहीं पुलिस का कहना है कि इनकी बरामदगी के लगातार प्रयास किए जाते हैं। कई मामलों में बच्चियां वापस लौट आती हैं, लेकिन परिवार के लोग पुलिस को इसकी जानकारी नहीं देते।
केस 1: छोला मंदिर थाना क्षेत्र में रहने वाली 15 साल की नाबालिग मंगलवार को लापता हो गई। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर बच्ची की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस सीसीटीवी फुटेज खंगालने के साथ ही पुलिस टीम रवाना कर दी है।
केस 2: अशोका गार्डन थाना में रहने वाली नाबालिग (17) मंगलवार को घर से बिना बताए कहीं चली गई। इस दौरान माता-पिता काम पर गए हुए थे। घर लौटे तो बेटी नहीं थी। नहीं मिली तो पुलिस से शिकायत की। पुलिस बच्ची को तलाशने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।
केस 3: जहांगीराबाद थाना क्षेत्र में रहने वाली नाबालिग 15 साल 10 माह मंगलवार को घर से कोचिंग क्लासेस जाने की बात कह कर निकली थी, लेकिन उसके बाद से घर नही लौटी(Missing)। काफी खोजबीन करने के बाद भी बेटी नहीं मिली।
केस 4: बिलखिरिया थाना क्षेत्र में रहने वाली दो नाबालिग सगी बहनें बीते दिनों घर से बिना बताए कहीं चली गईं। इसमें से एक 17 साल 6 माह तो दूसरी 12 साल 6 माह की है। पिता का निधन हो चुका है, बेटियां मां के साथ रहती हैं। पुलिस बच्चियों की तलाश कर रही है।
थानों में दर्ज कराई रिपोर्ट और बेटियों के बयानों के अनुसार कुछ पारिवारिक विवादों के कारण घर छोड़ देती हैं, तो कुछ प्रेम संबंधों के कारण घर से भाग जाती हैं। पुलिस के मुताबिक लड़कियों के भागने के बाद उनके माता-पिता शिकायत तो करते हैं, लेकिन जब वे वापस लौटती हैं, तो वे कभी पुलिस को इसकी सूचना नहीं देते। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार मई महीने तक 2044 महिलाएं और बेटियां लापता हुई हैं। मई के महीने में 156 महिलाएं और बेटियां गायब हुईं हैं। 2090 अब भी मिसिंग हैं।
मिसिंग बच्चों को लेकर एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) बनाई गई है। इस एसओपी का पूर्णरूप से संचालन किया जाए तो हम और तेजी से बच्चियों को रिकवर कर सकते हैं। -रेखा श्रीधर, सामाजिक कार्यकर्ता
लापता महिलाओं और बच्चिों के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। जागरूकता अभियान चला रहे हैं। स्कूलों में बच्चियों को गुड टच बैड टच की जानकारी दी जा रही है।- मंजू खत्री, एडिशनल डीसीपी, महिला अपराध
Updated on:
03 Jul 2025 10:17 am
Published on:
03 Jul 2025 10:15 am
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