
इंफ्लुएंजा वायरस जैसे लक्षणों वाले मरीजों की भीड़
भोपाल. सरकारी अस्पतालों में एच3एन2 इंफ्लुएंजा वायरस जांच की कोई खास व्यवस्थाएं नहीं है। इससे प्राइवेट पैथोलॉजी वाले जांच के नाम पर 5 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं। इस खतरनाक बीमारी जैसे लक्षणों वाले मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है लेकिन, न तो कोई मास्क लगा रहा है न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है। यह तब हो रहा है जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कोविड गाइड लाइन की सख्त पालन करने के निर्देश दिए हैं। इससे स्थितियां और बिगड़ रही हैं।
राजधानी के सरकारी अस्पतालों में एच3एन2 इंफ्लुएंजा वायरस की जांच की उचित सुविधाएं नहीं हैं। सिविल अस्पताल में जांच के नाम पर आरटीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा है तो जीएमसी की स्टेट वायरोलॉजी में अभी टेस्ट के लिए किट ही मौजूद नहीं है। इसके सोमवार तक आने की संभावना है। केवल एम्स की रीजनल वायरोलॉजी लैब में ही इसकी जांच की सुविधा है। यहां अब तक सिर्फ एक मामला सामने आया है।
सरकारी अस्पतालों में जांच की सुविधा न होने का लाभ निजी लैब संचालक उठा रहे हैं। प्राइवेट पैथोलॉजी में एच3एन2 की जांच के नाम पर कहीं 1200 तो कहीं 4900 रुपए लिए जा रहे हैं।
बिना किसी टेस्ट के इलाज कर रहे निजी चिकित्सक , संतनगर में पहला केस— एच3एन2 इंफ्लुएंजा का प्रदेश का पहला संक्रमित संतनगर में मिला। गंभीर बात यह है निजी चिकित्सक बिना किसी टेस्ट के इलाज कर रहे हैं। हालांकि, सिविल अस्पताल में वायरल मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट हो रहा है। यहां अभी तक एक भी केस सामने नहीं आया है।
संदेह वाले मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट, संक्रमित नहीं मिला
सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. रामहित कुमार के अनुसार सिविल अस्पताल में मौसम में बदलाव से बीमार होने वाले मरीज बढ़े हैं। ज्यातादर मरीजों में बुखार, खांसी, सांस में तकलीफ की शिकायत है। एच 3 एन 2 से संक्रमित तो नहीं है, इसलिए संदेह वाले मरीजों का आरटीपीसीआर टेस्ट कराया जा रहा है, अभी तक कोई संक्रमित नहीं मिला है।
Published on:
18 Mar 2023 09:40 am
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