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प्लान का मखौल उड़ाते 65 फीसदी हुए निर्माण

सरकार ने मास्टर प्लान और भूमि विकास नियम में कड़े कायदे-कानून बनाए है, लेकिन तंत्र में उलझन है। मास्टर प्लान बनाने, नोडल एजेंसी और कार्रवाई के लिए तीसरे विभाग के पास जिम्मेदारी है। 

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shahid samar

Jan 14, 2017

Bhopal

Bhopal


भोपाल.
मास्टर प्लान के पालन में प्रदेश के हालात ठीक नहीं हैं। सरकार ने प्लान और भूमि विकास नियम में कड़े कायदे-कानून बनाए है, लेकिन तंत्र में उलझन है। मास्टर प्लान बनाने, नोडल एजेंसी और कार्रवाई के लिए तीसरे विभाग के पास जिम्मेदारी है। इसके चलते प्रदेश में 65 फीसदी निर्माण इसका मखौल उड़ाते हैं। भूमि विकास नियम के पालन के लिए कड़े कदम की जरूरत है।


इतनी बड़ी विसंगति

प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में मास्टर प्लान लागू है। टीएंडसीपी विभाग मसौदा बनाता है। इसकी नोडल एजेंसी विकास प्राधिकरण होते हैं। इन दो विभाग के बाद मास्टर प्लान के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ननि, नपा व पंचायतों की होती है। मास्टर प्लान के बनने से क्रियान्वयन तक तीनों विभागों में तालमेल नहीं होता। गली-गली में दुकानें खुल चुकी है। निगम के पास अधिकार है, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं होती है।


ऐसे तोड़ते हैं नियम

ग्रीन बेल्ट :
टीएंडसीपी के पास पर्याप्त अमला नहीं है। मैदानी सर्वे नहीं हो पाता है। ऐसे में ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित क्षेत्र आंशिक अनुमान से कर दिया जाता है। धारा 15 के मुताबिक अफसर मैदान में नहीं जाते है, जिस वजह से ग्रीन बेल्ट की जगह धनी आबादी बसती जा रही है। भोपाल के रातीबड़-नीलबड़ वाले इलाके ग्रीन होकर भी आबादी में तब्दील हो चुके हैं।

पार्किंग :
प्रदेश में व्यावसायिक निर्माण में 50 वर्गमीटर पर एक कार, आवासीय में 100 वर्गमीटर पर एक कार के प्रावधान है। इसका पालन नहीं होता है।



व्यवसायिक और आवासीय दोनों में 4 से 5 कारें सड़क पर खड़ी होती है। ऐसे ही बहुमंजिला निर्माण में पार्र्किंग का मालिक नगर निगम होता है। निगम पार्र्किंग की तरफ झांकता तक नहीं है। पार्र्किंग में अवैध निर्माण हो जाते हैं। निगम कार्रवाई नहीं करता है।


कारनामे ऐसे भी

कॉलोनी में 5 प्रतिशत व्यावसायिक गतिविधि हो सकती है, जबकि 50 से 70 फीसदी तक मकानों के साथ ही दुकानें खोल ली जाती है। बहुमंजिला में बिल्डर दुकानें बनाकर बेच देते हैं। ननि मकान में हॉल की मंजूरी देता है। दुकानें बना ली जाती है। नियमानुसार 2 हजार वर्गफीट में ग्राउंड कवरेज पर 50 फीसदी या 75 वर्गमी का प्रावधान। इससे परे दुकान में स्टोर बनाकर व्यवसायिक गतिविधि चलती रहती है।


मास्टर प्लान के मुताबिक निर्माण किया जाए तो विकास व्यवस्थित होता है। शहर में अभी जो मास्टर प्लान लागू है वह 1995 में 25 लाख की आबादी को ध्यान में रखकर बनाया गया था, लेकिन नया प्लान लागू होने से वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से योजनाएं बन सकेंगी। 2011 के आंकड़े भी आ गए हैं। ननि की सीमाओं का विस्तार भी हो गया है। मास्टर प्लान नए सिरे से तैयार हो।

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देवाशीष बनर्जी,
चीफ आर्किटेक्ट, बीडीए


केरवा डैम से कोलार और कोलार से 11 मील की रोड पिछले मास्टर प्लान में थी। वन विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में बने मास्टर प्लान में इसे वन विभाग की जमीन पर तय किया। यही वजह है कि अभी तक ये रोड नहीं बन पाई है। मास्टर प्लान में 20-25 साल आगे के लिए प्लान तैयार किया जाता है। लेकिन, अभी निगम सीमा से 25 किमी दूर तक
कॉलोनियां बनी हैं। मास्टर प्लान कैसे लागू होगा?

- रामेश्वर शर्मा,
विधायक, हुजूर

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