
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित MP में करीब अस्सी फीसदी यानि 2.75 लाख कर्मचारियों को अभी तक सातवें वेतनमान के हिसाब से सैलरी नहीं मिल सकी है। जानकारी के अनुसार भले ही इसके आदेश वित्त विभाग ने जुलाई में जारी कर दिए थे, लेकिन धीमी प्रक्रिया और विकल्प भरने में देरी के चलते महज 20 फीसदी कर्मचारियों को ही अब तक नए वेतन(7th Pay Commission) का फायदा मिल सका है।
वहीं जानकारों का मानना है कि यदि 1 अक्टूबर को मिले वेतन में अस्सी फीसदी कर्मचारियों को भी सातवें वेतनमान (Salary Seventh Pay) का फायदा मिल जाता ताे दीपावली(Employees Diwali 2017) के दौरान बाजार में 165 करोड़ रुपए आ सकते थे। जिससे बाजार में छाई गिरावट काफी हद तक संभल सकती थी।
ऐसे समझें पूरा मामला:
जानकारी के अनुसार करीब साढ़े तीन महीने पहले MP सरकार ने कर्मचारियों को सातवां वेतनमान देने का निर्णय लिया था। इस वेतनमान को 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया था। इसके साथ ही इसे मई 2018, मई 2019 और मई 2020 में तीन किस्तों में एरियर के रूप में देना तय हुआ था। इस संबंध में वित्त विभाग ने जुलाई के अंतिम सप्ताह में आदेश भी जारी कर दिए थे।
इसके बाद बनाए गए नियमों के आधार पर सभी विभागों में विकल्प भरवाने की प्रक्रिया शुरू की गई। लेकिन कहा जा रहा है कि ज्यादातर विभागों में प्रक्रिया शुरू करने में ही देर हो गई। जिसका भूगतान अब कर्मचारी(7th Pay Commission Salary to Employees Diwali 2017) करने को मजबूर हैं। दरअसल इसके लिए कर्मचारियों से ऑनलाइन और आफ लाइन विकल्प भरवाए गए थे, वहीं जल संसाधन, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, स्कूल शिक्षा, कृषि विभाग जैसे बड़े विभागों के भी 80 फीसदी कर्मचारियों को नया वेतनमान नहीं मिल सका। जबकि कई विभागों में कर्मचारियों का वेतन निर्धारण भी सही नहीं हो सका।
इन्हें माना जा रहा देरी की मुख्य वजह :
1. सूत्रों के अनुसार आॅफलाइन विकल्प में हर विभाग की स्थापना शाखा के प्रभारियों ने पहले कर्मचारियों की सर्विस बुक में एंट्री की, फिर वेतन निर्धारण कर अकाउंट सेक्शन में भेजा। यहां अकाउंट सेक्शन को कोष एवं लेखा से एप्रूवल लेना पड़ा। जिसके चलते अगस्त में शुरू हुई इस प्रक्रिया में डेढ़ महीने का वक्त लगा।
वहीं कई विभाग प्रमुखों ने भी इसमें देरी(7th Pay Commission Salary to Employees) की। इसी कारण कर्मचारियों को नया वेतन अब तक नहीं मिल सका। वहीं ऑनलाइन विकल्प भरने वालों को सर्वर डाउन रहने के कारण भी परेशानियों से दो-चार होना पड़ा।
2. इसके अलावा विभागों ने संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा को पुस्तिका में वेतन निर्धारण का अनुमोदन करना है। इसके लिए कई विभाग इस दफ्तर से समय मांग रहे हैं कि लेकिन स्टाफ की कमी के चलते संयुक्त संचालक की टीम विभाग के दफ्तरों में पहुंच नहीं पा रही है।
अब तक विकल्प भी नहीं भर सके कई कर्मचारी:
वहीं पीडब्ल्यूडी,जल संसाधन, पीएचई, आरईएस, उद्यानिकी जैसे कुछ विभागों के फील्ड पर रहने वाले कई कर्मचारी अब तक विकल्प भी नहीं भर पाए हैं। जबकि नियम के अनुसार कर्मचारियों को नया वेतनमान देने से पहले उनसे विकल्प भरवाए जाते हैं कि उन्हें नया वेतनमान लेना है या नहीं।
वहीं कर्मचारी नेता भुवनेश पटेल, ओपी कटियार, महेंद्र शर्मा, उमाशंकर तिवारी, वीरेंद्र खोंगल व अरुण द्विवेदी का मानना है कि अभी विभागों में सिर्फ 20 फीसदी कर्मचारियों को ही नया वेतन(Salary Seventh Pay to Employees Diwali 2017) मिल पाया है। हम इसे दीपावली से पहले देने की मांग करते आ रहे हैं। वहीं निगम मंडलों के कर्मचारियों को तो यह देने की घोषणा तक नहीं की गई।
ऐसे जाने किसे(श्रेणीवार औसत) होगा कितना फायदा:
- प्रथम श्रेणी 8 से 25 हजार
- द्वितीय श्रेणी 6.5 से 18 हजार
- तृतीय श्रेणी 4 से 11 हजार
- चतुर्थ श्रेणी 2.5 से 6.5 हजार
ऐसे समझे 165 करोड़ रुपए का हिसाब:
मध्यप्रदेश में प्रथम श्रेणी से लेकर चतुर्थ श्रेणी के करीब 4.25 लाख कर्मचारी व अधिकारी हैं। इनमें से 75 फीसदी कर्मचारी तृतीय श्रेणी के हैं। ऐसे में औसतन एक कर्मचारी के नए वेतन में 6 हजार रुपए की वृद्धि होनी थी। यदि अक्टूबर में नया वेतन(Salary Seventh Pay to Employees Diwali 2017) मिलता तो 2.75 लाख कर्मचारियों को 165 करोड़ रुपए मिलते।
कुछ तकनीकी कारण हो सकते हैं। हमारी हरसंभव कोशिश है कि दीपावली से पहले सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को सातवां वेतन दे दिया जाए।
- राजीव सुकलीकर, प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग
निगम-मंडलों में नहीं बाकी सभी विभागों में सातवां वेतन दे दिया गया है। कुछ जगह तकनीकी वजह हो सकती है।
- जयंत मलैया, वित्तमंत्री, मप्र
बाजार को होता फायदा:
जानकारों का मानना है कि यदि इस बार समय से सभी कर्मचारियों को 7वां वेतनमान मिल जाता तो बाजार में लंबे समय से छाया सूनापन या गिरावट काफी हद तक दीपावली में दूर हो जाती। वहीं बाजारों की रौनक में भी इजाफा हो जाता।
Published on:
14 Oct 2017 12:22 pm
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