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गजब की लाइब्रेरी : पढ़ने के लिए मुफ्त में घर ले जाएं किताबें, नाश्ता-खाना भी फ्री में खाएं

वैसे तो भारत की साक्षरता दर में लगातार सुधार आ रहा है। नई पीढ़ी में उच्च स्तरीय शिक्षा हासिल करने का रुझान बढ़ रहा है, बावजूद इसके पैसों की कमी के कारण अब भी कई स्टूडेंट्स अपनी उच्च स्तरीय शिक्षा को जारी नहीं रख पाते। ऐसे में देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में ऐसे छात्रों की पढ़ाई जारी रखने और उनमें शिक्षा की लौ जलाए रखने की बड़ी पहल की गई है। शहर में ऐसी लाइबे्रियां खोली गई हैं जो स्टूडेंट्स को मुफ्त पढ़ाने का काम कर रही हैं।

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भोपाल

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Puja Roy

Feb 07, 2024

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यानी ऐसे स्टूडेंट्स जो अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं वो यहां बिना कोई शुल्क दिए अपने सब्जेक्ट की किताबें पढ़ सकते हैं। यही नहीं बेहतर पढ़ाई के लिए आप ये किताबें बिना शुल्क दिए ही अपने घर भी ले जा सकते हैं। शहर में कुछ ऐसी लाइब्रेरी भी हैं, जहा कंप्यूटर, इंटरनेट और खाने का सुविधा भी स्टूडेंट्स को दी जा रही है। ताकि स्टूडेंट्स का फोकस सिर्फ उनकी पढ़ाई पर रहे।

24 घंटे खुली रहने वाली लाइब्रेरी

ये विशेष लाइब्रेरी रोजाना 24 घंटे और 365 दीन खुली रहती है। यहां स्टूडेंट्स अपने हिसाब से किसी भी अनुकूल समय पर आकर किताबें पढ़ सकते हैं। यही नहीं छात्र इन किताबों को अपने घर भी ले जा सकते हैं। इस लाइब्रेरी में पढ़ने वाले लोगों का आना जाना रात - दिन जारी रहता है। एक तरफ दिन में यहां स्टूडेंट्स पढ़ने आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ रात के समय में यहां पत्रकार, साहित्यकार और पुलिसकर्मी ज्ञान अर्जित करने आते हैं।

भोजन के साथ चाय नाश्ता वो भी फ्री

इस संबंध में रूपांकन संस्था के अशोक दुबे का कहना है कि इस लाइब्रेरी की एक विशेष बात ये भी है कि यहां छात्रों को एक समय का निशुल्क भोजन भी कराया जाता है, जबकि रात के समय आने वालों के लिए निशुल्क चाय-नाश्ते की सुविधा भी दी जाती है, ताकि स्टूडेंट्स को पढाई में कोई परेशानी न हो।

किताबों की नही होती निगरानी

इस लाइब्रेरी की शुरुआत राधेश्याम माहेश्वरी ने करीब 8 साल पहले की थी। सबसे पहले उन्होंने सड़क के किनारे कुछ अलमीरा रखकर उसी में पुस्तकालय बनाया था। राधेश्याम अब तक 50 हजार से ज्यादा किताबें पढ़ने के लिए दान कर चुके हैं। उन किताबों को पढ़कर कई बच्चों ने तो कई प्रतियोगी परिक्षाएं भी पास कर ली हैं। यहां छात्र अपनी जरूरत के अनुसार किताबें लेकर पढ़ सकते हैं और जिन्हें आवश्यकता होती है वे किताबों को अपने पास रख लेते है। राधेश्याम माहेश्वरी शहर के अन्य जगह जैसे सुदामा नगर, वंदना नगर, पीडब्ल्युटी कैंपस में ये लाइबेरियां बना रखी हैं।

राधेश्याम माहेश्वरी का कहना है उन्हें बचपन से ही पढ़ने का काफी शौक है। उनके इसी शौक ने उन्हेंजीवन की सही दिशा दी है। यही कारण है की आज की पीढी को किताबें पढ़ने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए उनहोंने इस तरह की ओपन लाइब्रेरी शुरू की है।

मोहल्ला लाइब्रेरी में मुफ्त पढ़ने की व्यवस्था

आपको बता दें कि हालही में महिला एवं बाल विकास के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश मेहरा ने भी राधेश्याम माहेश्वरी द्वारा शुरु की गई मोहल्ला लाइब्रेरी का शहर के परदेशीपुरा इलाके में शुभारंभ किया है। उन्होंने विशेष रूप से इस लाइब्रेरी का शुरूवात बस्तियों के गरीब के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए की है। लाइब्रेरी में 4 हजार किताबें हैं साथ ही साथ करीब 70 लोगों के बैठने की खास व्यवस्था है।

इसके अलावा बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए हर दिन कुछ पुरस्कार भी दिए जाते हैं। राजेश मेहरा ने कहा कि लाइब्रेरी स्थापित करने का उद्देश्य लोगों को मोबाइल फोन से किताबों की ओर आकर्षित करना है। दरअसल, परदेशीपुरा में गरीब बस्तियों बहुत हैं। यंहा के घरों का आकार छोटा होने के कारण बच्चों को घर पर पढ़ाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लाइब्रेरी की मदद से वो आसानी से पढ़ सकेंगे।