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सच्चा मित्र वही, जो मित्र की परेशानी को समझे और मदद करे

अवधपुरी: सुरेंद्र मानिक कॉलोनी में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का भंडारे के साथ समापनभोपाल. अवधपुरी स्थित सुरेंद्र मानिक कॉलोनी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन भागवताचार्य आचार्य महेंद्र शास्त्री महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा सुनाई। शास्त्री ने सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि मित्रता करो, तो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी करो। सच्चा मित्र वही है, जो अपने मित्र की परेशानी को समझे और बिना बताए ही मदद कर दे।

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सच्चा मित्र वही, जो मित्र की परेशानी को समझे और मदद करे

सच्चा मित्र वही, जो मित्र की परेशानी को समझे और मदद करे

महाराज ने कहा कि हमें अपने पद का कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पद का अभिमान नहीं करते हुए अपने मित्र सुदामा को सिंहासन पर बैठाया और खुद नीचे बैठकर उनकी सेवा की। उसी तरह हम सबको भी भगवान की सेवा करना चाहिए। मित्रता को बताते हुए कहा कि मित्र से नि:स्वार्थ भाव से मिलना चाहिए। सुदामा अपनी पत्नी के कहने पर मित्र कृष्ण से मिलने द्वारकापुरी जाते हैं।

जब वह महल के गेट पर पहुंच जाते हैं, तब प्रहरियों से कृष्ण को अपना मित्र बताते हैं और अंदर जाने की बात कहते हैं। सुदामा की बात सुनकर प्रहरी उनका उपहास उड़ाते हैं और कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का मित्र एक दरिद्र व्यक्ति कैसे हो सकता है। प्रहरियों की बात सुनकर सुदामा अपने मित्र से बिना मिले ही लौटने लगते हैं, तभी एक प्रहरी महल के अंदर जाकर भगवान श्रीकृष्ण को बताता है कि महल के द्वार पर एक सुदामा नाम का दरिद्र व्यक्ति खड़ा है और अपने आप को आपका मित्र बता रहा है। द्वारपाल की बात सुनकर भगवान कृष्ण नंगे पांव ही दौड़े चले आते हैं और मित्र सुदामा को रोककर गले लगा लिया। कहने लगे तुम मित्र से बिना मिले ही वापस जा रहे थे।

भगवान श्रीकृष्ण को सुदामा के गले लगा देखकर प्रहरी और नगरवासी अचंभित हो गए। भगवान सुदामा को रथ पर बैठाकर महल ले गए और मित्र को सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठ गए। भगवान श्रीकृष्ण को नीचे बैठा देख रानियां भी दंग रह गई, कि कौन है जिन्हें भगवान सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठे हैं। भगवान ने आंसुओं से मित्र के पैर धोए और कांटे निकाले। इसी प्रसंग के साथ कथा का समापन हो गया। इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की। मुख्य यजमान रमादेवी चौकसे, देवेंद्र चौकसे, रेनू- दिनेश चौकसे और हरीश चौकसे हैं। कथा सुनने विकास वीरानी, सुनील यादव, अध्यक्ष भोजपाल महोत्सव मेला समिति, हरीश कुमार राम, सुमित रघुवंशी, तरुण गुप्ता, विनय सिंह सहित बड़ी संख्या में सुरेंद्र मानिक के रहवासी मौजूद रहे।