ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम के अनुसार पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा गया है। जब भी यह नक्षत्र गुरुवार और रविवार को आता है, तो क्रमश: गुरु पुष्य और रवि पुष्य का संयोग बनता है। यह योग स्थायित्व प्रदान करता है और शुभता प्रदान करता है। इसलिए इसमें भूमि, भवन, वाहन, स्वर्ण आभूषण, अनुबंध, नवीन व्यापार की शुरुआत करने का विशेष महत्व माना गया है। सूर्योदय के समय से यह योग होने के कारण पूरा दिन ही खरीदारी के लिए विशेष शुभ रहेगा।