
NRC और CAA के बाद अब जनगणना के लिए आएगा एक और नियम NPR
भोपाल/ मध्य प्रदेश समेत देशभर में अभी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (Natioanl Register of Citizens - NRC) और सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (Citizenship Amendment Act - CAA) का विरोध पूरी तरह थमा नहीं है, कि अब केन्द्र सरकार देश की जनगणना के लिए नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (Natioanl Population Register -NPR) के जरिये देश की जनगणना करने करने की तैयारी शुरु होने जा रही है।
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NRC और CAA के बाद अब NPR पर असमंजस
बता दें कि, मध्य प्रदेश के जबलपुर में एनआरसी और सीएए के विरोध में हालात तनावपूर्ण हो गए थे, जिसके बाद प्रशासन ने शहरभर में कर्फ्यू लगा दिया था, जिसे एक दिन पहले ही हटाया गया है, हालांकि, वहां धारा 144 अब भी लागू है। इसके अलावा राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के अलग अलग शहरों में केन्द्र सरकार द्वारा लागू किये गए दोनो ही कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुआ। हालात को नियंत्रण में रखने के लिए प्रशासन ने प्रदेश के 40 जिलों में धारा 144 लागू कर रखी है। फिलहाल, जबलपुर में हुए हल्के फुल्के तनाव के अलावा प्रदेशभर के कई जिलों में हुआ विरोध शांतिपूर्ण रहा। हालांकि, इन सब के बीच केन्द्र सरकार द्वारा शुरु किये जाने वाले राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर- एनपीआर को लेकर भी लोगों में असमंजस बढ़ रहा है। इसलिए आज हम आपको इस नियम के बारे में बताएंगे।
1 अप्रैल 2020 से शुरु होगा पहला चरण
दरअसल, केन्द्र की मोदी सरकार भारतीय नागरिकों की बायोमेट्रिक तरीके से वंशावली दर्ज करने के लिए नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) लाने जा रही है। इस संबंध में कुछ दिनों पहले रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी ने बताते हुए कहा था कि, नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के पहले चरण का काम 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक चलाया जाएगा, जिसमें केन्द्र और राज्य सरकार की संयुक्त टीमें देश के सभी नागरिकों के घर घर जाकर परिवार के सदस्यों की जनगणना करेंगी। हालांकि, इस नियम के तहत असम के अलावा देश के सभी राज्यों में रहने वाले नागरिकों की जनगणना दर्ज की जाएगी।
जानें क्या है प्रक्रिया, कितने चरणों में होगी
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर के जरिये देश के सभी नागरिकों को जानकारी रखी जाएगी। ये नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। आपको बता दें, कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है, उसकी जानकारी NPR में प्रभावी रूप से पंजीकृत करानी होगी। नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर में नाम दर्ज कराने का काम तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला चरण, आगामी साल में 1 अप्रैल 2020 से शुरु होकर 30 सितंबर तक चलाया जाएगा। वहीं, दूसरा चरण 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरा चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होगा।
ये कोई नया कानून नहीं, बल्कि हर दस साल में होती है यही जनगणना
भारत सरकार ने अप्रैल 2010 से सितंबर 2010 के दौरान जनगणना 2011 के लिए घर-घर जाकर सूची तैयार करने तथा प्रत्येक घर की जनगणना के चरण में देश के सभी सामान्य निवासियों के संबंध में विशिष्ट सूचना जमा करके इस डेटाबेस को तैयार करने का कार्य शुरू किया था। ये कोई पहली बार नहीं होने जा रहा है बल्कि आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना हुई थी। जो 10 साल में होने वाली एक सामान्य जनगणना है, जो 1951 से लेकर अब तक 7 बार हो चुकी है। अभी 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं, इसी प्रक्रिया के तहत 2021 की जनगणना पर काम किया जा रहा है। बस इस बार होने वाली जनगणना में बायोमेट्रिक डाटा लिया जाएगा, जिसके तहत संबंधित जानकारी के अलावा नागरिक का डिजिटली अंगूठे का निशान भी लिया जाएगा।
मध्य प्रदेश की जनसंख्या 2011 के अनुसार
-अंतिम बार साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7 करोड़ 25 लाख 97 हजार 565 थी। जो 2001 में हुई जनगणना वृद्धि दर से 4 फीसदी कम रही।
-प्रदेश के दस संभागों के तहत 50 जिलों में 476 शहरों एवं 342 तहसीलों के 54903 ग्रामों में संकलित जनगणना आंकड़ों के आधार पर राज्य की कुल जनसंख्या तय की गई थी।
-2011 में 3 करोड़ 76 लाख 12 हजार 920 पुरुष थे और 3 करोड़ 49 लाख 84 हजार 645 महिलाएं थी।
-सबसे ज्यादा जनसंख्या इंदौर जिले की रही थी 32 लाख 72 हजार 335 थी और सबसे कम जनसंख्या हरदा जिले की 5 लाख 70 हजार 302 रही थी।
-जनगणना 1991-2001 के बीच प्रदेश की सनसंख्या वृद्धि दर 24.3 थी, जो 2001-2011 के दशक में घटकर 20.3 रही थी, यानी पिछले दशक की के मुकाबले गुजरे दशक की जनसंख्या वृद्धि दर चार फीसदी कम रही थी।
-वर्ष 2001 से 2011 की तुलनात्मक वृद्धि दर इंदौर जिले में अधिकतम 32.7 और न्यूनतम अनूपपुर जिले में 12.3 रही।
-2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में प्रति 1000 पुरुषों पर 930 महिलाएं थीं, जबकि साल 2001 में हजार पुरुषों पर 919 महिलाएं थीं। जो 2011 में महिलाएं 11 ज्यादा थीं।
-राज्य में सर्वोच्च स्त्री-पुरुष अनुपात बालाघाट जिले था, जहां हर 1000 पुरुषों पर 1021 महिलाएं थीं, जबकि न्यूनतम भिंड जिले में हैं, यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 838 महिलाएं थीं।
-2011 में प्रदेश की जनसंख्या में बच्चों की कुल औसत संख्या 14.5 फीसदी था। इनमें सबसे अधिक अनुपात झाबुआ जिले में 20.3 फीसदी था, जबकि जबलपुर जिले में सबसे कम 11.7 दर्ज किया गया था।
क्या है NPR का उद्देश्य?
- सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत दिया जाने वाला लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे, साथ देश के हर व्यक्ति की पहचान की जा सके।
- नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के द्वारा देश की सुरक्षा में सुधार किया जा सके और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में सहायता प्राप्त हो सके।
- देश के सभी नागरिकों को एक साथ जोड़ा जा सके।
Published on:
24 Dec 2019 03:03 pm
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