
भोपाल. हमीदिया अस्पताल परिसर के कमला नेहरू हॉस्पिटल में लगी आग ने कई घरों के चिराग बुझा दिए हैं, अनेक मां की गोद उजाड़ दी हैं. हादसे के कई घंटों बाद भी यहां का मंजर दिल दहला रहा है. सोमवार रात आग लगने के साथ ही कई बच्चों की मौत हो गई थी. बच्चों के साथ ही उनके माता—पिता के सपने भी जिंदा जल गए.
रात करीब 9 बजे आग लगने के बाद किसी भी परिजन को अस्पताल के अंदर नहीं जाने दिया गया। माता—पिता बाहर खड़े होकर चीखते-चिल्लाते रहे। सुबह करीब चार बजे अस्पताल का गेट खोलकर चार बच्चों की लाश लाई गई. मृत बच्चों में से एक बच्चा इरफाना का भी था जिसे देखते ही वे बेहोश हो गईं। अपने कलेजे के टुकड़े को यूं मृत देखकर वह बाद में बिलखती रही.
गौतमनगर की इरफाना की गोद शादी के पूरे 12 साल बाद भरी थी. उनकी बहन फरजाना ने बताया कि 2 नवंबर को इरफाना की नॉर्मल डिलीवरी हुई थी। बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी इसकी वजह से उसे कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया था। सोमवार रात आग लगते ही इरफाना को अस्पताल से बाहर कर दिया गया और सुबह चार बजे उसे बच्चे की मौत होने का मनहूस खबर सुनाई गई.
बच्चे की याद में मां अस्पताल के बाहर बैठकर सुबगती रहीं। बाद में परिजन उन्हें अस्पताल से उनके घर ले गए। बहन ने बताया कि बच्चे को जन्म देने के बाद से इरफाना की हालत ठीक नहीं थी। आग लगने के बाद वह रातभर कमला नेहरू अस्पताल के बाहर ही बैठी रही। बार-बार कहती रही कि मेरा बच्चा दिखा दो। सुबह उसे बच्चे का शव ही दिखाया गया.
Published on:
09 Nov 2021 11:12 am
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