रविवार को एम्स के माइक्रोबायलॉजी विभाग में फोल्डस्कोप वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इस दौरान विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. टी करुना को एमबीबीएस छात्रों को फोल्डस्कोप की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस सामान्य माइक्रोस्कोप की तुलना में लो पॉवर की इमेज इस माइक्रोस्कोप से देखी जा सकती है। जिन अस्पतालों या स्कूलों में माइक्रो स्कोप नहीं है वहां कागज से बना यह माइक्रोस्कोप बहुत काम आता है।
इस मौके पर एम्स के डायरेक्टर प्रो. सरमन सिंह भी मौजूद रहे। इस दौरान फोल्डस्कोप का अविष्कार करने वाले भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. मनु प्रकाश की वीडियो कॉलिंग के जरिए मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि भारत और अफ्रीकी देशों के अधिकतर स्कूलों और अस्पतालों में माइक्रोस्कोप नहीं होते। ऐसे में उन्होंने कागज से माइक्रोस्कोप बनाया। उन्होंने बताया कि यह ना तो टूटता है और ना ही पानी से गीला होता है। इसे आसानी से जेब में रखा जा सकता है।
क्या है फोल्डोस्कोप
फोल्डोस्कोप, पेपर ओरिगैमी पर आधारित एक बहुत ही कम लागत वाला छोटा सा माइक्रोस्कोप है, जिससे कि स्लाइस्ड्स को सरलता से बढ़ा कर देखा जा सकता है। वैसे तो फोल्डोस्कोप से सूक्ष्म चीजों को देखने के लिए कैमरे इत्यादि की अवश्यकता नहीं पड़ती, किन्तु इस छोटे माइक्रोस्कोप पर कोई भी मोबाइल कैमरा फोन फि ट किया जा सकता है और सूक्ष्म फील्ड का केवल फोटो ही नहीं, वरन विडियो भी लिया जा सकता है। इस पेपर से बने माइक्रोस्कोप से किसी भी फील्ड को 140 गुना तक बढ़ा कर दो माइक्रोन के आकार तक देखा जा सकता है।
फोल्डोस्कोप, पेपर ओरिगैमी पर आधारित एक बहुत ही कम लागत वाला छोटा सा माइक्रोस्कोप है, जिससे कि स्लाइस्ड्स को सरलता से बढ़ा कर देखा जा सकता है। वैसे तो फोल्डोस्कोप से सूक्ष्म चीजों को देखने के लिए कैमरे इत्यादि की अवश्यकता नहीं पड़ती, किन्तु इस छोटे माइक्रोस्कोप पर कोई भी मोबाइल कैमरा फोन फि ट किया जा सकता है और सूक्ष्म फील्ड का केवल फोटो ही नहीं, वरन विडियो भी लिया जा सकता है। इस पेपर से बने माइक्रोस्कोप से किसी भी फील्ड को 140 गुना तक बढ़ा कर दो माइक्रोन के आकार तक देखा जा सकता है।
कहां कहां आ सकता है उपयोग रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कणिकाओं) की जांच करने के साथ ही इस माइक्रोस्कोप से मलेरिया और फाइलेरिया की जांच आसानी से की जा सकती है। यहां तक कि जीवाणुओं को भी सुगमता से देखने के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही फंगल इनफेक्शन और पैथोलाजी जांच भी इससे हो सकती है। यही नहीं इससे कृषि क्षेत्र और मिट्टी विज्ञान के क्षेत्र में भी काम किया जा सकता है।