
एम्स के पॉइजनिंग इंफॉर्मेशन सेंटर में 3.5 लाख तरह के जहर का इलाज मौजूद
भोपाल. भारत में हर साल 20 से 25 हजार लोगों की जहर से मौत हो जाती है। इसका एक प्रमुख कारण इलाज में देरी होना भी है। इसी समस्या को देखते हुए भोपाल समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में 10 पॉइजनिंग इंफॉर्मेशन सेंटर (पीआइसी) बनाए गए हैं। प्रदेश का एक मात्र पीआइसी राजधानी के एम्स में है। इस सेंटर में साढ़े तीन लाख तरह के जहर का इलाज मौजूद है। प्रदेश का कोई भी डॉक्टर एक फोन कॉल के जरिए जहर के इलाज पता कर सकता है।
अब तक 350 की मदद
एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग के डॉ.राघवेंद्र कुमार ने बताया कि लाखों तरह के जहर ऐसे होते हैं जिनका इलाज डॉक्टरों को भी नहीं पता होता। ऐसे में फौरन इलाज नहीं मिलने के कारण कई बार मरीजों की मौत हो जाती है। ऐसे मामलों में पीआइसी बहुत मददगार हो सकता है। यहां हजारों तरह के जहर के ब्योरा वाला साफ्टवेयर में स्टोर है। इसमें लगभग हर जहर का इलाज मौजूद है। अब तक लगभग 350 लोगों का इलाज सेंटर की मदद से हुआ है। इनमें 150 प्रदेश के और 200 अन्य प्रदेशों के लोग शामिल हैं। पीआइसी में प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर मेडिकल कॉलेज तक के डॉक्टरों ने जहर के इलाज व उसके दुष्प्रभाव के बारे में पूछा। पीआइसी में आए लगभग 350 फोन में से 75 फीसदी मरीज पुरुष थे। इनमें 131 किसान और 78 छात्र थे। इसके अलावा 51 मामले दवाओं के ओवर डोज के सामने आए।
इस तरह काम करता है पीआइसी
सेंटर में फोन करने वाले डॉक्टर को जहर का नाम, उसके लक्षण व उसमें कौन सा तत्व है यह बताने पर सेंटर के चिकित्सक उस जानकारी को साॅफ्टवेयर में डालकर फौरन उसका इलाज बताते हैं। साॅफ्टवेयर में उस जहर के खाने से शरीर में होने वाले नुकसान, लक्षण व इलाज के बारे में सारी जानकारी मौजूद है। पॉइजनिंग इंफॉर्मेशन सेंटर चौबीसों घंटे खुला रहता है। अमेरिका में तो जहर के 72 फीसदी से अधिक मामलों का प्रबंधन फोन द्वारा ही किया जाता है। इसी तर्ज पर देश में यह सेंटर शुरू किए गए हैं।
फैक्ट फाइल
-2021 में 23 हजार से ज्यादा की मौत जहर से हुई
2021 देश में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 5351 लोगों की जहर से मौत
(एनसीआरबी 2021 के आंकड़े के आधार पर)
भोपाल में हर साल हजार लोग जहर के इलाज के लिए आते हैं
-राजधानी में 600 से ज्यादा पॉइजनिंग के मरीज हमीदिया जाते हैं
एम्स का पॉइजनिंग सेंटर 24 घंटे चालू है। यहां अब तक करीब 350 फोन आए हैं। इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को समय से इलाज मुहैया कराने का काम जारी है।
प्रो. (डॉ.) अजय सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल
Published on:
16 Oct 2022 01:17 am
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