
Aishwarya Rai Bachchan
प्रवीण श्रीवास्तव. भोपाल
एक कंपनी में बतौर मैनेजर काम करने वाले अंकित के व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगता है। कभी वो राष्ट्रपति भवन में रहने की प्लानिंग करने लगते हैं तो कभी शहर का एक बड़ा निजी अस्पताल ही खरीदने की बात करते हैं। शुरुआत में लोगों को ये बातें मजाक लगी लेकिन एक-दो दिन में स्थिति गंभीर हो गई। अंकित खुद को प्रधानमंत्री का बेटा बताने लगा। परिजनों को समझ आया कि ये माजरा मजाक नहीं बल्की कुछ और है, तो वे तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचे। यहां भी अंकित डॉक्टर को अपने घर में काम करने का ऑफर देने लगा। अंकित की स्थिति देख डॉक्टर ने समझाया कि मौसम में हुए परिवर्तनों के कारण अंकित सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर 'मेनिया' का शिकार हो गया है। इसी प्रकार की बीमारी से पीड़ित एक युवक ने बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन को अपनी मां बता दिया था।
दरअसल पिछले दिनों हुए मौसम में बदलाव के कारण लोगों में मेनिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हमीदिया अस्पताल सहित निजी अस्पतालों में भी हर रोज मेनिया के आठ से दस मरीज पहुंच रहे हैं। हमीदिया अस्पताल के मनोचिकित्क डॉ. आरएन साहू के मुताबिक अक्सर बातचीत के दौरान व्यक्ति के स्वभाव में अचानक बदलाव आने से वह बढ़ा-चढ़ाकर बात करने लगता और बेवजह गुस्सा करता है। इस दिक्कत को सामान्य दवाओं से दूर किया जा सकता है।
हर रोज आधा दर्जन मरीज
स्थिति यह है कि अस्पतालों की मनोचिकित्सा ओपीडी में हर रोज आधा दर्जन से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ साल पहले तक लोग इसे आदत मानकर छोड़ देते थे लेकिन अब इसके प्रति जागरूकता बढ़ी है। लोग मनोचिकित्सक से मिलकर बीमारी का समाधान ढूंढ रहे हैं।
दिमाग में हो जाता है कैमिकल लोचा
मौसम के बदलाव से दिमाग में मौजूद रासायनिक तत्व सिरोटोनिन व नोरेपीनेफ्रीन में गड़बड़ी होने लगती है। इसे सीजनल इफेक्टिव डिसऑर्डर भी कहते हैं। कई बार मौसम के बदलाव से पीनियल ग्रंथि द्वारा निर्मित मेलाटोनिन हार्मोन या तो बढ़ जाता है या फिर इसकी असामान्यता मूड डिसऑर्डर का कारण बनती है। गर्मी की तुलना में सर्दी में इसके मामले ज्यादा हैं। ऐसे में आराम व काम के बीच बढ़ता तनाव डिप्रेशन का रूप लेकर खत्म होते-होते व्यक्ति को मेनिया का रोगी बना देता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
इसे चिकित्सकीय भाषा में सीजनल डिफेक्टिव डिस्ऑर्डर कहते हैं। यह गर्मियों, बरसात और सर्दियों की शुरुआत में ज्यादा दिखाई पड़ते हैं। इन मौसम के शुरू होते ही कुछ लोगों को डिप्रेशन और मेनिया जैसी बीमारी घेर लेती है। इसमें विचारों व व्यवहार में स्वयं का नियंत्रण कम हो जाता है जिससे उसकी इच्छा हर किसी से बात करने की व डींगे हांकने की होती है। एेसे रोगी बड़ी बड़ी बातें करना जैसे राष्ट्रपति भवन को खरीदने, खुद को अमिताभ बच्चन का बेटा बताने जैसी बातें तक करते हैं। स्थिति गंभीर होने पर मरीज कभी कभार एक्सीडेंट, मारपीट, झगड़ा, हिंसा, घर से भागने की प्रवृत्ति से गुजरता है।
डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक
Published on:
04 Jan 2018 12:18 pm
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