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अमेरिका बांध तोड कर नदियों को स्वतंत्र कर रहा है और हम बांध बना रहे हैं

नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ मेधा पाटकर ने कहा कि अमेरिका बांध तोड कर नदियां स्वतंत्र कर रहा है और हम बांध बना रहे हैं। यह उचित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सब कुछ वल्ड क्लास बनाने के लिए कंस्ट्रक्शन करना है तो डिस्ट्रक्शन ही डिस्ट्रक्शन होगा

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अमेरिका बांध तोड कर नदियों को स्वतंत्र कर रहा है और हम बांध बना रहे हैं

अमेरिका बांध तोड कर नदियों को स्वतंत्र कर रहा है और हम बांध बना रहे हैं

भोपाल। यदि हमको सबकुछ वल्र्ड क्लास बनाने के लिए कंस्ट्रक्शन करना है तो डिस्ट्रक्शन ही डिस्ट्रक्शन होगा। अनकंट्रोल उत्खनन विशानकारी भी है। रेत में करोड़ों का व्यवहार चल रहा है। एक ओर घोषणा होती है कि रेत खनन हम नहीं करने देंगे। दूसरी ओर जिस तरह से खनन किया जा रहा है उससे उप नदियां खत्म हो रही हैं और नर्मदा का भी खत्म होना शुरू हो चुका है। बांध ऊपर गया है नदी नीचे चली गई। नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ एवं सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने यह बात कही। वे रविवार को नर्मदा संरक्षण न्यास द्वारा नर्मदा पर्यावरण आस्था और अस्तित्व विषय पर परिचर्चा पर बोल रहीं थीं। इस मौके पर राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह, पर्यावरणविद राजेन्द्र चंद्रकांत राय, सुभाष सी पाण्डेय सहित नदी संरक्षण से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।

मेधा पाटकर ने नदियों के लिंकेज पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि नदी के विकास के नाम पर जब हम नदी को तोड़ते और जोड़ते हैं तो अमेरिका ही हमको पहला संदेश देने वाला देश था। टेनिसी बेली के आधार पर आप बनाते जाओ और आज अमेरिका ने एक हजार बांध तोड़कर नदियों को स्वतंत्र कर दिया है। आज हम उसी टेनिसी वेली के आधार पर चलते रहेंगे। इस दौरान पाटेकर ने अंनकंट्रोल रेत खनन को विनाशकारी बताया। उन्होंने नर्मदा नदी पर अवैध उत्खनन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस पर रोक सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है।

बांध छोटे होना चाहिए - दिग्विजय
दिग्जिवय सिंह ने कहा कि बांध बड़े नहीं होना चाहिए, छोटे बांधे हो। जनमानस को ये बातें बताने के लिए परिचर्चा होती रहना चाहिए। पानी रोको अभियान का लाभ हुआ है। प्रकृति से खिलवाड़ के दुष्परिणाम भी हैं। इसलिए एलर्ट होने की जरूरत है। इसलिए जानमानस को जागृत किए जाने की जरूरत है।