
भोपाल। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हर साल अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के रूप में मनाया जाता है। गणेशोत्सव के तहत घर में विराजे गणपति इसी दिन विदा होते हैं यानी गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan) किया जाता है। इस बार 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर्व है। गणपति के पूजन के साथ-साथ इस दिन भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाता है, साथ ही पूजन के बाद 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांह में बांधा जाता है।
अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) पर्व की मान्यता और महत्व :
अनंत चतुर्दशी के दिन शयन कर रहे भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मिलने वाला पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। इस व्रत से सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार कर वन में भटक रहे थे तब तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने की सलाह दी थी। उन्होंने पूरे विधि-विधान से ये व्रत किया और अनंत सूत्र बांधा था। इसके बाद उनके संकट समाप्त हुए थे।
अनंत सूत्र का महत्व:
पूजन के बाद इस दिन अनंत सूत्र बांधने का भी रिवाज है। कहा जाता है कि अनंत सूत्र धारण करने से हर तरह की मुसीबतों से रक्षा होती है। साथ ही साधकों का कल्याण होता है। पुरुष इसे दाहिनी बांह में व महिलाएं बायीं बांह में बांधती हैं।
ऐसे करें अनंत चतुर्दशी व्रत :
सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प करें। फिर पूजा के स्थान पर कलश स्थापित करें। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को रखें। उनके समक्ष चौदह गांठों से युक्त अनंत सूत्र रखें। इसके बाद ॐ अनन्ताय नम:मंत्र से भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार-विधि से पूजा करें। पूजन के बाद अनंत सूत्र को मंत्र पढ़ कर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें।
ये है अनंत की कथा :
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार एक दिन कौण्डिन्य मुनि ने अपनी पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनंत सूत्र को जादू-मंतर वाला वशीकरण करने का डोरा समझकर तोड़ दिया और उसे आग में डालकर जला दिया। इससे भगवान विष्णु नाराज हो गए और उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई। दीन-हीन स्थिति में जीवन-यापन करने में विवश हो जाने पर कौण्डिन्य ऋषि ने अपने अपराध का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया। वे अनंत भगवान से क्षमा मांगने के लिए वन में चले गए। उन्हें रास्ते में जो मिलता वे उससे अनंत देव का पता पूछते जाते थे। बहुत खोजने पर भी कौण्डिन्य मुनि को जब अनंत भगवान का साक्षात्कार नहीं हुआ, तब वे निराश होकर प्राण त्यागने को उद्यत हुए। तभी एक वृद्ध ब्राह्मण ने आकर उन्हें आत्महत्या करने से रोक दिया और एक गुफा में ले जाकर चतुर्भुज अनन्त देव का दर्शन कराया।
भगवान ने मुनि से कहा-तुमने जो अनन्त सूत्र का तिरस्कार किया है, यह सब उसी का फल है। इसके प्रायश्चित के लिए तुम चौदह वर्ष तक निरंतर अनंत व्रत का पालन करो। कौण्डिन्य मुनि ने भगवान के कहे अनुसार चौदह वर्ष तक अनंत व्रत का नियमपूर्वक पालन किया और खोई हुई समृद्धि को पुन:प्राप्त कर लिया।
इस साल दो दिन होगा गणपति विसर्जन :—
इन दिनों हर ओर गणेश चतुर्थी का उत्सव चल रहा है। इस उत्सव के अब कुछ ही दिन और शेष रह गए हैं क्योंकि 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी या चौदस है। इस दिन गणपति Ganpati हमारे घर से विदा हो जाएंगे। लेकिन आपको बता दें कि अनंत चतुर्दशी Anant Chaturdashi 5 सितंबर को होने के बावजूद Ganpati Visarjan दो दिन यानी 4 और 5 सितंबर किया जा सकता है क्योंकि चतुर्दशी तिथि 4 सितंबर को सुबह 12:14 बजे शुरू होकर 5 सितंबर, 2017 को 12:41 बजे तक रहेगी।
यह है विसर्जन का सही तरीका (Ganpati Visarjan ka Tarika)
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार गणपति का विसर्जन करने से पहले उन्हें तिलक लगाएं, फल, फूल और मोदक आदि मिष्ठान अर्पित करें। मंत्रों का उच्चारण के बाद आरती गाएं। फिर भगवान को चढ़ाया गया फल और मिठाई आदि को लोगों को बांट दें। इसके बाद पूजा के स्थान से श्री गणेश की प्रतिमा को पाटे के साथ उठाएं। साथ में फल, फूल, वस्त्र और मोदक रखें। इस पूजा में दीपक, धूप, पुष्प, चावल और सुपारी को एक लाल कपड़े में बांध कर रख लें। जिसे विसर्जन के दौरान प्रयोग करें।
श्रीगणेश यानि बप्पा की मूर्ति उठाने के साथ ही गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया आदि मंत्र का उच्चारण बोलकर करें। इसके बाद गणपति की मूर्ति को विसर्जन के स्थान पर लें जाएं। वहां पर फिर से एक बार गणपति का रोली, चावल, पुष्प, सुपारी आदि से पूजन करें। उसके बाद उनसे इन दिनों में भूलवश हुई किसी भी चूक के लिए क्षमा याचना करें। उसके बाद गणपति बप्पा से अगले साल दोबारा आने की भी कामना करें। उसके बाद उनकी मूर्ति को पाटे के साथ जल में तीन बार डुबकी लगवाएं। फिर धीरे से ऐसे छोडें कि मूर्ति खंडित न हो और पाटा पानी से बाहर निकाल लें।
ये हैं गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त (Ganpati Visarjan 2017 Subh Muhurat)
सुबह का मुहूर्त (चार, लाभ, अमृत) = 09:32 बजे- 14:11 अपराह्न
दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे
शाम का मुहूर्त(प्रयोग) = 20:17 अपराह्न - 21: 44 बजे
रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे
Published on:
03 Sept 2017 04:15 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
