24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हर रोज आपको देखने आते हैं आपके पुरखे! इस गलती पर आशीर्वाद दिए बिना ही लौट जाते हैं वापस…

तमाम कोशिशों के बावजूद जब हमें सफलता ( success ) नहीं मिलती तो...

3 min read
Google source verification
ancestors in night

हर रोज आपको देखने आते हैं आपके पुर्खे! इस गलती पर आशीर्वाद दिए बिना ही लौट जाते हैं वापस...

भोपाल। जीवन से कई रहस्य ( mystery ) जुड़े हुए हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में हमें कई बार इन बातों का पता ही नहीं होता और हम कुछ ऐसे कर्म कर जाते हैं। जो हमारी तरक्की ( Advancement ) में बाधक हो जाते हैं।

तमाम कोशिशों के बावजूद तरक्की या कुछ अन्य नहीं पा पाते, यानि किसी चीज विशेष में लगातार असफल ( Unsuccessful ) रहते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव में हम लगातार कोशिश करते रहते हैं कि हम सफल ( success ) हो जाएं।

तमाम कोशिशों के बावजूद जब हमें सफलता नहीं मिलती तो हम इसका दोष अपने भाग्य ( LUCK ) को देने लगते हैं या कई बार तो ईश्वर से ही उलाहना करना शुरू कर देते हैं।

इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा का कहना है क्या आप जानते हैं कि हमारे पुर्खे ( ancestors ) हमें रात्रि के एक निश्चित पहर में देखने के लिए आते हैं।

उस समय कई बार किन्हीं गलतियों के चलते वे हमें आशीर्वाद दिए बिना ही लौट जाते हैं। उनके इन आशीर्वाद ( Blessings ) की कमी ही हमें कई जगहों पर आशीर्वाद की ताकत कम होने से पीछे छूटने पर मजबूर कर देती है।

पंडित शर्मा के अनुसार कई बार हम शयन के समय निर्वस्त्र होकर सोते हैं, हमारी यहीं गलती हमें कई तरह से नुकसान पहुंचाती है। विष्णु पुराण के अनुसार निर्वस्त्र ( nude ) होकर सोने से चंद्र देवता ( Moon ) नाराज़ हो जाते हैं।

साथ ही पितृगण ( ancestors ) जो रात के समय अपने परिजनों को देखने के लिए आते हैं और ऐसे में किसी को निर्वस्त्र देखकर उनकी आत्मा ( The soul ) बहुत दुखी हो जाती है और वह बिना आशीर्वाद दिए ही वापस लौट जाते हैं।

वहीं यह भी माना जाता है कि रात में नग्न होकर सोने से आप पर नकारात्मक शक्तियां ( Negative Powers ) हावी हो सकती हैं और आपकी ज़िंदगी हैरानी और परेशानी में व्यतित होगी।

मान्यता के अनुसार अपने परिजनों के हालचाल जानने व आशीर्वाद प्रदान करने के चलते ही पितृजन रात्रि में में निश्चित समय में उनके घर आते हैं। वहीं परिजन सुखी हैं या नहीं इस संबंध में उन्हें यहां आकर जानकारी मिलती है, सुखी परिजनों को देखकर जहां वे तृप्त होते हैं, वही दुखी परिजनों को देखकर उन्हें भी दुख होता है।

वहीं यदि इस दौरान उन्हें कुछ भी गलत दिखता है तो वे बिना आशीर्वाद दिए ही वापस लौट जाते हैं।

विष्णु पुराण ( vishnu puran ) : ये भी है खास...

विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य के कल्याण के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं और उनके बारे में विवरण भी किया गया है। इनमें खान-पान से लेकर कपड़े पहनने को लेकर कई नियम शामिल हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार कुछ काम ऐसे हैं, जिन्हें निर्वस्त्र होकर करना अपमान के समान है और साथ ही वह इंसान पाप का भागीदार भी बनता है। यही कारण है कि पूजा-अर्चना में बिना सिले हुए वस्त्र को धारण करने का विधान है।

निर्वस्त्र होकर ये भी न करें...
: आचमन के दौरान नग्न अवस्था में कभी नहीं रहना चाहिए, ऐसा करना विधि के खिलाफ होता है। बता दें कि आचमन के दौरान आंतरिक शुद्धि होती है और इसी तरह शुद्ध मन से की गई पूजा ही शुभ मानी जाती है। गलती से कोई गलत कार्य हो भी जाए तो आचमन द्वारा शुद्धि ज़रूर कर लेनी चाहिए।

: निर्वस्त्र होकर ही देवी-देवता की पूजा और अराधना करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कपड़े अशुभ होते हैं और वह पहनकर पूजा करना कभी सफल नहीं होता है। कपड़े ना पहनकर पूजा करना आपको कोई सफल पूजा का शुभ फल नहीं प्राप्त कराएगा बल्कि पापा का भागीदार बनाएगा।

यह सत्य हैं कि पूजा या फिर यज्ञ के दौरान बिना सिले हुए वस्त्र धारण करने का विधान है और ऐसा इसलिए है, क्योंकि सिलाई जो है वह सांसारिक मोह-माया के बंधन का प्रतीक माना गया है। भला हम यह कैसे भूल सकते हैं कि भगवान की पूजा हर बंधन से अलग होकर करनी चाहिए।


: विष्णु पुराण के एक अध्याय में यह बात साफ कही गई है कि मनुष्य को पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर स्नान कभी नहीं करना चाहिए। याद रखें कि स्नान करते समय शरीर में कम से कम एक कपड़ा तो ज़रूर होना चाहिए। भगवान कृष्ण ने भी गोपियों को यह सलाह दी थी कभी नग्न होकर स्नान नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से जल देवता का अपमान माना जाता है।

यह हम सभी जानते हैं कि जल हमारे जीवन के लिए कितनी आवश्यक है। इंसान का जल के बिना जीवन सोचना नामुमकिन है। जल है तो जीवन है… इसलिए जल देवता को आप प्रसन्न रखना चाहते हैं, तो गलती से भी निर्वस्त्र होकर ना नहाएंं।