8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

कोरोना वायरस के नाम पर टला फलोर टेस्ट, मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित

— एक मिनट में ख़त्म हुआ राज्यपाल का अभिभाषण— राज्यपाल बोले सभी संविधान और परंपरा का करें पालन— भाजपा हुई नाराज सदन में धरने पर बैठे विधायक

2 min read
Google source verification
mp_vidhansabha.png

mp_vidhansabha.png

कोरोना वायरस के नाम पर मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी गई। वहीं, फ्लोर टेस्‍ट कराने की भाजपा की मांग को दरकिनार किया गया। इससे पहले भारी गहमागहमी के बीच राज्यपाल के अभिभाषण के साथ सदन की कार्यवाही शुरू हुई थी। अभिभाषण के पहले विधानसभा के सचेतक नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि अल्पमत सरकार की उपलब्धि कैसे बताई जा सकती है। इस पर कांग्रेस सदस्यों ने हंगामा किया। राज्यपाल लालजी टंडन ने अभिभाषण का आखिरी पेज पढ़ा। इसके बाद उनका अभिभाषण पढ़ा हुआ माना गया। राज्यपाल ने अपने भाषण में कहा, 'जिसका जो दायित्व है वो उसका निर्वहन करे। सभी संविधान और परंपरा का पालन करें। मध्य प्रदेश के गौरव की रक्षा हो।' राज्यपाल के अभिभाषण पढ़ने के तीन मिनट में सदन से वापस चले गए।

स्पीकर बोले मुझे नहीं मिला फलोर टेस्ट का पत्र

राज्यपाल के जाते ही नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने फलोर टेस्ट को लेकर लिखी गई राज्यपाल की चिट्ठी पढ़कर सुनाई। इस पर स्पीकर एनपी प्रजापति ने कहा कि राज्यपाल ने यह पत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ को लिखा है। अभी तक मेरे पास अधिकृत रुप से फलोर टेस्ट को लेकर कोई पत्राचार नहीं हुआ है। इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से सदस्य नारेबाज़ी करने लगे। हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही पहले 10 मिनट के लिए स्थगित की गयी। उसके बाद स्पीकर एनपी प्रजापति ने कोरोना वायरस की वजह से एहतियात के तौर पर सदन की कार्यवाही 26 मार्च तक के लिए स्थगित करने का ऐलान कर दिया। गौरतलब है कि इसी दिन राज्यसभा चुनाव के लिए वोटिंग भी होनी है।
.............

फलोर टेस्ट न होने से नाराज भाजपा धरने पर बैठी
सदन स्थगित होते ही भाजपा विधायकों ने हंगाम करना शुरु कर दिया। फलोर टेस्ट न होने पर भाजपा के सभी विधायक सदन में ही धरने पर बैठ गए।

दिल्ली का फोन आते ही पहुंचे राजभवन
भाजपा हाईकमान मध्यप्रदेश की राजनीति पर पल—पल की रिपोर्ट ले रहे हैं। सदन स्थगित होने के बाद दिल्ली से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निर्देश मिले कि सभी विधायकों को लेकर राजभवन पहुंचे। दिल्ली से यह भी कहा गया कि राज्यपाल के सामने विधायकों की परेड करवाकर उन्हें फलोर टेस्ट न करवाने वाली सरकार पर कड़ी कार्रवाई करने का ज्ञापन सौंपा जाए। इस पूरी कार्रवाई की वीडिया रिकॉर्डिंग भी कराएं, जिससे सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में यह अहम दस्तावेज बने।

सदन स्थगित होते ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
विधानसभा स्पीकर ने जैसे 26 मार्च तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित की वैसे ही दिल्ली में पहले से तैयार याचिका को वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने दायर कर दिया। ये याचिका पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से दायर की गई है। इसमें जल्द सुनवाई के साथ 48 घंटे में फलोर टेस्ट करवाने की राहत मांगी गई है।

सत्र शुरु होने से पहले सीएम ने राज्यपाल को लिखा पत्र

विधानसभा सत्र शुरु होने से पहले मुख्यमंत्री ने सोमवार सुबह 8 बजे पत्र लिखकर फलोर टेस्ट को अलोेकतांत्रिक बताते हुए राज्यपाल के पत्र का जवाब दिया। उन्होंने 6 पेज का पत्र लिखकर कहा है कि बैंगलुरु में कांग्रेस के 16 विधायकों को बंधक बनाकर उनसे जबरन बयान दिलवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक ये लोग मुक्त नहीं होते तब तक फलोर टेस्ट करवाना संभव नहीं है।