चौकाने वाला तथ्य यह है कि इनमें से अधिकांश अफसरों के भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता से जुड़े हुए हैं। कई मामले तो ऐसे हैं जिनमें दोषी अधिकारी ही रिटायर हो गए लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी। 17 दिसंबर से शुरू होने जा रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले सरकारी महकमा मंत्रियों के आश्वासनों को पूरा करने में ताबड़तोड़ तरीके से जुटा हुआ है, लेकिन आश्वासनों का अंबार सरकार के सिर का सबसे बड़ा भार बना हुआ है।
विधानसभा में मामला उठने पर किसी भी मामले में कार्रवाई या जांच ऐसे महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए मंत्री सदन में आश्वासन देते हैं। ये आश्वासन विधानसभा सचिवालय द्वारा संबंधित विभाग को भेजे जाते हैं ताकि उन पर त्वरित कार्यवाही की जा सके। उधर विधानसभा में गठित आश्वासन समिति एक-एक आश्वासन पर नजर रखने के साथ उसे पूरा कराने का काम करती है। लेकिन मध्यप्रदेश विधानसभा में 18 साल पहले दिग्विजय सिंह सरकार में दिए गए आश्वासन आज तक पेंडिंग पड़े हुए हैं।
सबसे ज्यादा पेंडिंग आश्वासन भाजपा सरकार में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान के हैं। 14 वीं विधानसभा के 404 आश्वासन हैं। इसमें से 228 तो ऐसे हैं जिन पर सरकार ने एक्शन लेना तो दूर विधानसभा को पत्र लिखकर कभी यह भी नहीं बताया कि मंत्री द्वारा सदन में जो ऐलान किया गया था उसकी फाइल अभी मंत्रालय में कहां घूम रही है।
कैसे-कैसे आश्वासन –
– गुना जिले के चंदेरी वन परिक्षेत्र में अवैध कटाई में लिप्त वाहन को जप्त को पकड़ा और छोड़ दिया गया। वर्ष 2002 में सरकार की ओर से कार्रवाई की बात कही गई। वाहन को दोबारा जब्त करना है, लेकिन कार्यवाई नहीं हो पाई।
– गुना जिले के चंदेरी वन परिक्षेत्र में अवैध कटाई में लिप्त वाहन को जप्त को पकड़ा और छोड़ दिया गया। वर्ष 2002 में सरकार की ओर से कार्रवाई की बात कही गई। वाहन को दोबारा जब्त करना है, लेकिन कार्यवाई नहीं हो पाई।
– नगर पालिका परिषद बैतूल में आदिवासी उप योजना मद से प्राप्त अनुदान से खरीदे गए जीआई पाईप में की गई अनियमितता पर सरकार घिरी तो दोषी अधिकारी, कर्मचारियों पर कार्यवाही का भरोसा दिलाया गया। जांच की बात कही गई, लेकिन इन पर क्या कार्रवाई सदन को आज तक जानकारी नहीं दी गई। यह आश्वासन वर्ष 2001 का है।
– वर्ष 2001 में तत्कालीन स्थानीय शासन मंत्री के फर्जी हस्ताक्षर पत्र नगर पालिका हरदा में प्रस्तुत किए जाने का मामला उजागर हुआ। सरकार ने जिम्मेदारों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया। एफआईआर हुई लेकिन दोषियों पर कार्यवाही की सूचना सदन को नहीं दी गई।
– सागर जिले के सुरखी विधानसभा में सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति की मृत्यु होने पर तर्क दिया गया कि एम्बूलेंस देर से पहुंची क्योंकि वेरीगेट में एम्बूलेंस फंस गई थी। वर्ष 2014 में सदन को आश्वस्त किया गया कि दोषियों के खिलाफ कार्यवाही होगी, लेकिन सदन को इसकी सूचना नहीं दी गई।
– जिला सहकारी बैंक मंदसौर में हुई आर्थिक अनियमितताओं के दोषियों के खिलाफ विभागीय जांच का भरोसा वर्ष 2014 में दिया गया। लेकिन कोई एक्शन नहीं।
– जिला सहकारी बैंक मंदसौर में हुई आर्थिक अनियमितताओं के दोषियों के खिलाफ विभागीय जांच का भरोसा वर्ष 2014 में दिया गया। लेकिन कोई एक्शन नहीं।
– मध्यप्रदेश में वक्फ सम्पत्तियों की अवैध हेराफेरी, घोटाले एवं भ्रष्टाचार संबंधी प्रकरणों की शीघ्र जांच कराई जाकर दोषियों के खिलाफ विधि सम्मत कार्यवाही की जाना। यह आश्वासन वर्ष 2015 का है। दिग्विजय काल के प्रमुख मामले –
दमोह जिले की पथरिया निकाय में सड़क निर्माण कार्य के लिए स्वीकृत राशि अन्य कार्यों में खर्च कर किए जाने के दोषी अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाना थी। इसी प्रकार का मामला सागर में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने के लिए स्वीकृत राशि को अन्य मदों में खर्च कर दिए जाने से जुड़ा है। जांच प्रतिवदेन के कारण मामला अटका है। शहडोल जिले की धनपुरी एवं पसान नगर पालिका द्वारा आदिवासी सम्मेलन में संबंधित विज्ञापन में राज्य सरकार की स्वीकृति के बिना खर्च की गई राशि की जांच एवं दोषियों पर कार्यवाही किए जाने आश्वासन 2001 में दिया गया, लेकिन सचिवालय को जांच प्रतिवेदन का इंतजार।
दमोह जिले की पथरिया निकाय में सड़क निर्माण कार्य के लिए स्वीकृत राशि अन्य कार्यों में खर्च कर किए जाने के दोषी अधिकारी, कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही की जाना थी। इसी प्रकार का मामला सागर में ट्रांसपोर्ट नगर बनाने के लिए स्वीकृत राशि को अन्य मदों में खर्च कर दिए जाने से जुड़ा है। जांच प्रतिवदेन के कारण मामला अटका है। शहडोल जिले की धनपुरी एवं पसान नगर पालिका द्वारा आदिवासी सम्मेलन में संबंधित विज्ञापन में राज्य सरकार की स्वीकृति के बिना खर्च की गई राशि की जांच एवं दोषियों पर कार्यवाही किए जाने आश्वासन 2001 में दिया गया, लेकिन सचिवालय को जांच प्रतिवेदन का इंतजार।
जिला सहकारी बैंक शहडोल में गबन के लिए उत्तरादायी के विरुद्ध 5 आर्थिक अपराध के अंतर्गत पुलिस प्रकरण दर्ज किए जाने का आश्वासन भी वर्ष 2001 में दिया गया था। विभाग ने वसूली का नोटिस दिया, लेकिन एफआईआर नहीं। सचिवालय को कोई सूचना नहीं। इसको लेकर लगातार पत्र व्यवहार चल रहा है। ऐसा ही वर्ष 2002 में दिया गया था। ये मामला शिवपुरी जिले के करैरा एवं पिछोर वन परिक्षेत्र में अवैध वन कटाई से जुड़ा है। इसमें 10 कर्मचारी लिप्त पाए गए। संतोषजनक जबाव नहीं मिलने पर इनसे 3 लाख 2 हजार 391 रुपए वसूली के आदेश भी दिए गए। लेकिन राशि वसूलने साथ अन्य कार्यवाही की सूचना विधानसभा को नहीं दी गई।
यह है नियम –
नियमों के तहत सरकार द्वारा सदन में दिए गए आश्वासनों को हर हाल में पूरा करना होता है। सरकार का कार्यकाल भले ही समाप्त हो जाएं लेकिन सदन में दिए गए आश्वासन पूरे होने तक समाप्त नहीं होते। इसलिए लगातार आश्वासनों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि इन्हें पूरे किए जा रहे हैं। विधानसभा आश्वासन समिति की बैठकों को नियमित किया गया है।
नियमों के तहत सरकार द्वारा सदन में दिए गए आश्वासनों को हर हाल में पूरा करना होता है। सरकार का कार्यकाल भले ही समाप्त हो जाएं लेकिन सदन में दिए गए आश्वासन पूरे होने तक समाप्त नहीं होते। इसलिए लगातार आश्वासनों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि इन्हें पूरे किए जा रहे हैं। विधानसभा आश्वासन समिति की बैठकों को नियमित किया गया है।
मुख्य बिन्दु –
– 2175 आश्वासन अधूरे हैं। – 684 आश्वासनों के जबाव सरकार ने नहीं दिए।
– 1491 आश्वासनों पर पत्र व्यवहार चल रहा है। आश्वासन पूरे न करने में टॉप पांच महकमे –
नगरीय प्रशासन एवं आवास – 351
– 2175 आश्वासन अधूरे हैं। – 684 आश्वासनों के जबाव सरकार ने नहीं दिए।
– 1491 आश्वासनों पर पत्र व्यवहार चल रहा है। आश्वासन पूरे न करने में टॉप पांच महकमे –
नगरीय प्रशासन एवं आवास – 351
राजस्व – 187
पंचायत एवं ग्रामीण विकास – 172 सहकारिता – 143
कृषि – 156 लंबित आश्वासनों को पूरा करने के लिए हमने हर माह में दो बैठकें करना शुरु कर दी है। इस बार की बैठक में वर्षों पुराने आश्वासन को पूरा करवाने पर भी जोर दिया जाएगा। पिछली सरकार में कम प्रयास हुए, इस कारण लंबित आश्वासन हजारों की संख्या में पहुंच गए।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास – 172 सहकारिता – 143
कृषि – 156 लंबित आश्वासनों को पूरा करने के लिए हमने हर माह में दो बैठकें करना शुरु कर दी है। इस बार की बैठक में वर्षों पुराने आश्वासन को पूरा करवाने पर भी जोर दिया जाएगा। पिछली सरकार में कम प्रयास हुए, इस कारण लंबित आश्वासन हजारों की संख्या में पहुंच गए।
– ग्यारसीलाल रावत, अध्यक्ष, शासकीय आश्वासन समिति, विधानसभा, मप्र लंबित आश्वासनों को पूरा करने के लिए सचिवालय सरकार के संबंधित विभागों से लगातार पत्र व्यवहार करता है। ऑनलाइन व्यवस्था से इसमें तेजी आई है। ये बात सही है कि अभी वर्षों पुराने आश्वासन लंबित हैं।
– अवधेश प्रताप सिंह, प्रमुख सचिव विधानसभा