अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग कोर्स में एक भी छात्र ने प्रवेश नहीं लिया है। पिछले साल 6 छात्रों ने ही बीई में एडमिशन लिया था और उसमें से परीक्षा सिर्फ 4 छात्रों ने दी थी। इस साल इंजीनियरिंग की तीन ब्रांच की सभी 90 सीटें खाली हैं। हिन्दी में मेडीकल की पढ़ाई भी छात्रों को लुभा नहीं पाई इसलिए मेडीकल में भी छात्रों ने प्रवेश नहीं लिया। दूसरे 150 विषयों में एडमिशन की डेट बढ़ाने के बावजूद महज 360 एडमिशन हुए हैं।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रामदेव भारद्वाज भी मानते हैं कि विश्वविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। मेडीकल की पढ़ाई के लिए न तो लैब और ना ही इंफ्रास्ट्रक्चर। ऐसे में मेडीकल की पढ़ाई मुमकिन नहीं है, कई दूसरे कोर्स भी बंद करने पड़ सकते हैं।
हिन्दी विश्वविद्यालय में स्टूडेंट भले नहीं हैं लेकिन 178 लोगों का स्टॉफ है जिनमें 78 प्रोफेसर शामिल हैं। इनकी सैलरी पर सरकार साढ़े चार करोड़ रुपए खर्च किए जा रही है। हालांकि अब यह मुद्दा कांग्रेस की नजर में आ गया है और इस पर एक बार फिर सरकार को घेरने की तैयारी की जा रही है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोगों को उपकृत करने के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है।