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बागेश्वर धाम बाबा को कैसे पता चल जाती है आपके मन की बात ? खुल गया राज

भोपाल। बागेश्वर धाम के कथा वाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री बीते सालों से सुर्खियों में हैं। बागेश्वर महाराज के नाम से प्रसिद्धि पा चुके धीरेन्द्र शास्त्री लोगों के मन की बात पढ़ने का दावा करते हैं। बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham Sarkar) में रोजाना लाखों की तादात में भक्त अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंच रहे है।

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Bageshwar Dham Sarkar

बताया जा रहा है कि बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham Sarkar) के मुख्य पंड़ित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) भक्त को देखकर ही बता देते है कि उनके मन में क्या चल रहा है। लोगों का विश्वास है कि अगर बागेश्वर धाम के दिव्य दरबार में एक बार अर्जी लग जाए तो किस्मत बदल जाती है। महाराज लोगों की समस्या बिना बताए ही पढ़ लेते हैं और फिर उनके मन की बात को बताते हुए कागज पर समस्या का समाधान बताते हुए लिखते हैं कि जल्दी ही आपकी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी।

मन की बात कैसे जान लेते हैं धीरेंद्र शास्‍त्री

बागेश्वर धाम का रहस्य जानने के लिए भारत सहित विदेश तक के लोगों जोर लगा लिया है पर सब विफल रहे हैं। यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो भी भक्त अपने सच्चे मन के साथ आता है वो संतुष्ट होकर ही जाता है। यह एक बड़ा सवाल है कि बाबा कैसे लोगों की मन की बात जान लेते हैं। दरअसल पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जिस विद्या से लोगों की समस्या का निराकरण करते है, दरसअल उस विद्या को कर्ण पिशाचिनी कहते है।

ये सिद्धी उसी प्रकार है जिस प्रकार बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री किसी व्यक्ति के सामने आते ही उसके बारे में जानकारी देना शुरू कर देते है। उसका नाम, उसके परिजनों का नाम, वो क्या करते है। और यहां तक वो किस लिए आया है, ये तक बता दिया जाता है। और इस चमत्कार को देखकर लोग हैरान रह जाते है। कहते है कि जो कर्ण पिशाचिनी को सिद्ध कर लेता है वह सामने बैठे इंसान के अंर्तरमन के अतीत को बता देते है।

माना जाता है कि कर्ण पिशाचिनी सिद्धी वो तंत्र विद्या है, जिसमें हर सवाल का जवाब एक आलौकिक ताकत कान में आकर बता देती है। और ये जबाव सिर्फ उसी को सुनाई देता है जिसके पास ये विद्या होती है। इस विद्या को कर्ण पिशाचिनी विद्या के अलावा पिशाच विद्या या अंग्रेजी में नेक्रोमेंसी भी कहा जाता है।

डिस्क्लेमर: पत्रिका किसी अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है। साथ ही किसी की आस्था को भी ठेस पहुंचाना हमारा मकसद कतई नहीं है।