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प्रदेश में साढ़े चार हजार हेक्टेयर बढ़ाया जाएगा बांस का रकबा

- 10 करोड़ 60 लाख रूपये का अनुदान दिया जाएगा। - पिछले वर्ष में 3597 किसानों ने 3520 हेक्टेयर में रोपण किया था बांस

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भोपाल

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Ashok Gautam

Aug 29, 2021

Bamboo Mission

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भोपाल। सरकार प्रदेश में साढ़े चार हजार हेक्टेयर बांस का रकबा और बढ़़ाने की तैयारी कर रही है। पिछले वर्ष में 35 सौ हेक्टेयर से अधिक में बांस की खेती की गई थी। सरकार बांस की खेती पर इसलिए किसानों को जोर दे रही है, जिससे कम समय में उनकी आय दो गुनी की जा सके।
प्रदेश के किसानों को कम मेहनत और कम रिस्क में ज्यादा लाभ दिलाने के लिए वन विभाग द्वारा बांस की फसल को प्रोत्साहित किए जाने के साथ ही अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। इस साल में 3 हजार से ज्यादा किसानों द्वारा 4443 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया जा रहा है।

इसके लिए 10 करोड़ 60 लाख रूपये का अनुदान दिया जाएगा। कुल 129 स्व-सहायता समूहों द्वारा 2428 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया जा रहा है। म.प्र. राज्य बांस मिशन बोर्ड द्वारा पिछले वित्तीय वर्ष में 3597 किसानों द्वारा 3520 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया गया। इन किसानों को तकरीबन 7 करोड़ 20 लाख रूपये का अनुदान उपलब्ध कराया गया।


चार साल में 40 लाख रुपए की मिलती है फसल
बांस लगाने के चौथे साल से प्रति भिर्रा न्यूनतम 10 बांस तकरीबन 40 फिट लम्बे हो जाते हैं। इस तरह 40 हजार पौधे से इतने ही बांस उपलब्ध हो जाते हैं। प्रति बांस 100 रूपये के हिसाब से बिकता है। इनकी बिक्री से 40 लाख रूपये की फसल हितग्राही को मिल सकती है। बांस के खरीददार खेत से ही फसल ले जाने से परिवहन खर्च भी नहीं होता। इसके अलावा उत्पादक किसान को चौथे साल में प्रति एकड़ एक हजार क्विंटल बाँस की सूखी पत्ती प्राप्त हो जाती है। इस पत्ती को जमीन में गाड़कर उच्च क्वालिटी की कम्पोस्ट खाद भी बनाई जाती है। इसका उपयोग सब्जी और अन्य तरह की खेती में किया जाता है।

अन्य फसलों का भी साथ में होता उत्पादन
बाँस की कतारों के बीच में मिर्च, शिमला मिर्च, अदरक और लहसुन की फसल उगाई जा सकती है। बाँस की कतार में इन फसलों में पानी कम लगता है और गर्मी में विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे अच्छा उत्पादन हो जाता है।

ऐसे मिलता है अनुदान
बाँस की खेती करने पर हितग्राही को प्रति पौधा 120 रूपये का अनुदान तीन वर्ष में मिलता है। पहले साल 60 रूपये, दूसरे साल 36 रूपये और तीसरे साल 24 रूपये का अनुदान मिलता है।