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भोपाल। राज्य सरकार ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाकर कुलपति पद से डॉ. एमडी तिवारी को हटाकर प्रशासनिक व्यवस्थाएं अपने हाथ में ले ली हैं। इस आदेश के साथ प्रदेश की शिक्षा जगत में एक और काला अध्याय जुड़ गया है। राज्यपाल प्रो. ओपी कोहली के आदेश पर उच्च शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बीआर नायडू ने 10 अगस्त को धारा 52 लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी थी।
यह पांचवा मौका है जब सरकार ने बीयू की बागडोर अपने हाथ में ली है। उधर, राज्यपाल ने नए कुलपति के तौर पर मैपकास्ट के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रमोद वर्मा को नियुक्त करने के आदेश शुक्रवार को जारी कर दिए हैं। वर्मा मूल रूप से विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के एप्लाइड जिओलॉजी के प्रोफेसर हैं। आदेश के मुताबिक बीयू के कार्यकलापों के कुप्रबंधन के संबंध में रिपोर्ट तथा सामग्री उपलब्ध कराई गई। जिसके आधार पर राज्य सरकार को विश्वास हो गया कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि विश्वविद्यालय का प्रशासन मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के अनुसार नहीं चलाया जा रहा है और विश्वविद्यालय के हित में ऐसा करना जरूरी हो गया है।
इसलिए मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52 की उपधारा एक द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग करते हुए निर्देश जारी किए कि बीयू में 10 अगस्त से में लाते हुए राज्य सरकार इस अधिनियम की धारा 10,13,14,20,25,40,47,48,54 और 67 के उपबंधों को लागू किया जाता है।
एनएसयूआई ने उठाए सवाल
एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाए हैं कि माखनलाल चतुर्वेदी, मध्यप्रदेश भोज (मुक्त), राजीव गांधी प्रौद्योगिकी, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय व अन्य शहरों के विवि में लंबे समय से गड़बड़ी चल रही हैं। उधर, एबीवीपी ने राज्य सरकार व राजभवन के इस कदम की तारीफ की है। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने डॉ. एमडी तिवारी को हटाने के लिए अनशन किया था।
यह है धारा 52
विवि अधिनियम 1973 की यह धारा पारंपरिक विश्वविद्यालय में चल रही अनियमितता, सही ढंग से प्रबंधन नहीं होने के कारण लगाई जाती हैं। इसमें कुलपति के हटने के साथ वर्तमान कार्यपरिषद भंग कर दी जाती है। राज्यपाल द्वारा पांच से छह सदस्य नियुक्त किए जाते हैं।
इन्होंने दिया इस्तीफा
डॉ. बीएन शर्मा, डॉ. केसी नायर, एमएस सोठा, प्रो. हर्षवर्धन तिवारी, प्रो. एचए बच्छानी, डॉ. रामप्रसाद, प्रो. आरएस सिरोही ऐसे कुलपति हैं जिन्होंने अपने बीच कार्यकाल में इस्तीफा दिया। इसके अलावा पांच प्रभारी कुलपति रहे। बीयू में अभी तक 25 कुलपति काम कर चुके हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा- आपराधिक प्रकरण दर्ज कराएं
बीयू में धारा 52 को लेकर शुक्रवार को उठापटक का दौर जारी रहा। उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने प्रमुख सचिव को निर्देश दिए कि धारा-52 की अधिसूचना के अन्तर्गत प्रकाशित खबरों की जांचकर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आवश्यकता हो तो प्रकाशित तथ्यों पर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराएं। उल्लेखनीय है कि मीडिया में पूर्व कुलपति डॉ. एमडी तिवारी द्वारा धारा 52 लगने के पूर्व लिखी गई नोटशीट के आधार पर खबरें प्रकाशित हुई हैं, इसलिए यह बहुत प्रमाणित तथ्य है।
रजिस्ट्रार डॉ. यूएन शुक्ल ने पत्रिका को बताया कि उनके पास पूर्व कुलपति द्वारा लिखी गई नोटशीट है। दरअसल, उच्च शिक्षा मंत्री पूर्व कुलपति उस नोटशीट के कारण घिरे नजर आ रहे हैं, जिसमें डॉ. एमडी तिवारी ने लिखा है कि बीयू ने महिला अध्ययन केंद्र की निदेशक डॉ. आशा शुक्ला को वेतन जारी करने के निर्देश उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने दूरभाष के माध्यम से दिए थे, लेकिन भविष्य में उन्हें वेतन दिया जाना संभव नहीं होगा। डॉ. आशा शुक्ला को वेतन दिए जाने के संबंध में शासन ने विवि प्रशासन से पूरी जानकारी जुटाई है। इस मामले में रजिस्ट्रार डॉ. शुक्ल व डिप्टी रजिस्ट्रार यशवंत पटेल पूरी फाइल लेकर उच्च शिक्षा विभाग के मंत्रालय पहुंचे थे। इस संबंध में शासन स्तर पर बारीकी से परीक्षण कराया जा रहा है।
Published on:
12 Aug 2017 11:05 am
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