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भारत भवन आकर सीखा कूची पकडऩा, अब हैं अंतरराष्ट्रीय कलाकार

जीटीबी कॉम्प्लेक्स स्थित आदिवासी कला केंद्र में चल रही आदिवासी चित्रकला प्रदर्शनी  

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भारत भवन आकर सीखा कूची पकडऩा, अब हैं अंतरराष्ट्रीय कलाकार

भोपाल। जीटीबी कॉम्प्लेक्स स्थित आदिवासी कला केंद्र में आदिवासी चित्रकला प्रदर्शनी चल रही है। इसमें शहर 18 कलाकारों की तीस से अधिक गोंड आर्ट पेंटिंग्स एग्जीबिट की गई है। 15 दिवसीय एग्जीबिशन 9 सितंबर तक दोपहर 12 बजे से रात 9 बजे तक खुली रहेगी। एग्जीबिशन में छह राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के साथ दस नए कलाकारों को भी मौका दिया गया है।

माता-पिता से सीखा भित्ति चित्र बनाना
मूलत: डिंडौरी की रहने वाली कलावती श्याम पिछले 25 सालों से गोंड आर्ट वर्क कर रही हैं। उनका कहना है कि बचपन से ही माता-पिता को घरों की दीवारों पर चित्र बनाते देखा तो मैंने भी इसे सीख लिया। बारह वर्ष से इसे कैनवास पर आकार देना शुरू किया। मेरे बनाए चित्रों को दक्षिण अफ्रीका की एग्जीबिशन में भी स्थान मिल चुका है।

1999 में नेशनल फैलोशिप के साथ राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्होंने यहां कछुआ और मछली की पेंटिंग बनाई है। वहीं दूसरी पेंटिंग में गांव का दृश्य है। उन्होंने बताया कि गोंड आर्ट में जैसा आप देखते हैं उसे ही कैनवास पर आकार देते हैं। मैंने कछुआ और मछली के माध्यम से ये संदेश दिया है कि पानी में रहने वाली जीव-जंतू एक साथ रहते हैं। वहीं गावं में भी इंसान और पशु-पक्षी जीवन जीने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

25 सालों से गोंड आर्ट को कैनवास पर उतार रहे

आनंद श्याम मूलत: डिंडौरी के रहने वाले हैं। वे पिछले 25 सालों से गोंड आर्ट को कैनवास पर उतार रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत भवन की स्थापना के समय जे स्वामीनाथन की टीम उनके गांव में कलर और कैनवास लेकर आई थी। वे वर्कशॉप में शामिल होकर पेंटिंग बनाना सीखे। इसके बाद भोपाल आ गए। आनंद की बनाई तीन पेंटिंग यहां एग्जीबिट की गई हैं। एक पेंटिंग में नेचर को तो दूसरी में लव बड्र्स को दिखाया है। वहीं, तीसरी पेंटिंग में वे मनुष्य और सियार का रिश्ता बता रहे हैं। उनका कहना है कि गांव में सियार की आवाज को ग्रामीण अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं।