30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

2016: ये रही साल की सबसे बड़ी और चर्चित घटना, दुनियाभर में हुई इसकी चर्चा

मप्र पुलिस ने ऐसे 71 गार्ड को ट्रेंड करने का निर्णय लिया है, जो ट्रेनिंग के बाद जेल के बाहर और अंदर चल रही हर एक आपराधिक गतिविधि पर नजर रखेंगे।

4 min read
Google source verification

image

sanjana kumar

Dec 31, 2016

fake encounter

disputed encounter

भोपाल। सिमी जेल ब्रेक मामले को दो महीने बीत चुके हैं, उसी समय जांच की घोषणाएं कर दी गई। इसके बावजूद अब तक जांच की कार्रवाई सही दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। इन फैक्ट से जानें इस मामले की शुरुआत से अब तक की कहानी...

* 30-31 अक्टूबर की दरमियानी रात सिमी के खूंखार आतंकी जेल ब्रेक कर भागे और सिर्फ 7 घंटे के दौरान एनकाउंटर में मारे गए।
* एनकाउंटर के हफ्ते भर बाद भी सरकार ने मामले में जांच आयोग के गठन की घोषणा कर दी थी।
* 26 दिसंबर तक भी आयोग ने अपना काम तक ढंग से शुरू नहीं किया।


* दो महीने बीतने के बावजूद जांच शुरू नहीं हो सकी।
* न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एसके पांडे के मुताबिक जब मामले में जांच कार्रवाई ही सही तरीके से शुरू नहीं हो पा रही है, तो कोर्ट जांच पूरी होने की समय सीमा कैसे तय कर सकता है।
* जांच आयोग के नाम पर सिर्फ उद्घोषणा ही प्रकाशित की गई। इसके मुताबिक घटना से संबंधित जानकारी देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया।
* उद्घोषणा के प्रकाशन के बावजूद अब तक आयोग में कोई अहम जानकारी नहीं पहुंची है।
* आयोग को घटना का ऑडियो, वीडियो भी अब तक नहीं मिल पाया है।

इस मामले के बाद सतर्क जरूर हुए हम
* भोपाल के सिमी ब्रेक द सेंट्रेल जेल मामले के बाद सतर्क हुए पुलिस विभाग ने जेल सुरक्षा के लिए एक और कदम उठाया है। मप्र पुलिस ने ऐसे 71 गार्ड को ट्रेंड करने का निर्णय लिया है, जो ट्रेनिंग के बाद जेल के बाहर और अंदर चल रही हर एक आपराधिक गतिविधि पर नजर रखेंगे। ट्रेनिंग के बाद ये गार्ड 'इंटेलिजेंस ऑफिसर्स' कहलाएंगे। हालांकि इसके लिए एक्स्ट्रा सेलेरी का कोई प्रावधान नहीं होगा।
* सिमी आतंकियों के जेल ब्रेक करने के बाद मध्यप्रदेश की सभी जेलों में सुधार की जिम्मेदारी प्रदेश के तीन आईपीएस ऑफिसर्स को दी गई है। इनमें संजय चौधरी, सुधीर साही और जीआर मीणा का नाम शामिल है।


* भोपाल की जेल ब्रेक कर भागे सिमी आतंकियों के मामले को लेकर सतर्क हुई राज्य सरकार जल्द ही हाई सिक्योरिटी 'अंडा सेल' का निर्माण करने जा रही है। अंडे की शेप में तैयार यह जेल हाई सिक्योरिटी ब्लॉक होगी। आपको बता दें अंडे के शेप की ऐसी जेल अब तक पूणे में ही थी। अब प्रदेश सरकार भी पूणे की इसी येरावदा सेंट्रल जेल की तर्ज पर प्रदेश में इसके निर्माण की तैयारी करने जा रही है।

ये मामले भी रहे चर्चा में

भोपाल सेंट्रल जेल से फरार हुए और बाद में एनकाउंटर में मारे गए सिमी आतंकी जेल में बंद रहने के दौरान अंग्रेजी सीख रहे थे। इस लर्निंग प्रोसेस में उनकी मदद दो लोग कर रहे थे इन्हीं में से एक था बीएचईएल(भेल) का पूर्व कर्मचारी।

* चैक बाउंस होने के मामले में जेल में बंद इस पूर्व भेल कर्मचारी के अलावा एक अन्य कैदी की मदद से सिमी के ये आतंकी तीन महीने से अंग्रेजी सीख रहे थे।


* एक पुलिस अधिकारी के अनुसार साल 2008 में नई दिल्ली और अहमदाबाद की बसों में विस्फोट हुआ था। जिसकी छानबीन में गोहलपुर नई बस्ती निवासी मोहम्मद अली के सिमी सदस्य होने की बात सामने आई।
* बम विस्फोट में शामिल होने के आरोप में एटीएस ने अली को 20 सितंबर 2008 मेें गिरफ्तार कर लिया था। जांच और पूछताछ में अली ने सिमी का खजांची होने की बात कुबूल की थी। अली के अलावा भी यहां सिमी के सदस्य होने केआरोप में 9 अन्य लोगों की भी शहर से गिरफ्तारी की गई थी।

* सभी पढ़े लिखे
गिरफ्तारी के बाद जो पहलू सामने आया वह चौंकाने वाला था। पकड़े गए ज्यादातर आरोपी उच्च शिक्षित व मध्यमवर्गीय अच्छे परिवारों से ताल्लुक रखने वाले थे। ऐसे में पढ़े-लिखे युवाओं के देशद्रोह के कृत्य में लिप्त होने से लोगों में हैरानी रही।


* व्यवहार से पहचान मुश्किल
सूत्रों के अनुसार नई बस्ती निवासी अली को जब गिरफ्तार किया गया वह सिमी के लिए चंदा वसूल रहा था, लेकिन जब उसके आस-पड़ोस तक बात पहुंची तो किसी को यकींन नहीं हुआ। मध्यमवर्गीय परिवार के सदस्य अली पोस्टग्रेजुएट था। क्षेत्र में उसकी पहचान एक सीधे, शालीन और पढ़े-लिखे युवक की थी।

* आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना था जबलपुर
शहर में सिमी की गतिविधियां बढऩे की खुफिया रिपोर्ट के बाद पुलिस ने गोहलपुर, हनुमानताल थाना क्षेत्र से 9 युवाओं को गिरफ्तार किया था। सिमी संपर्क के कारण इन पर देशद्रोह का मामला कायम किया गया था। देश में सीरियल बम ब्लॉस्ट की घटनाओं के बीच शहर आतंकियों के सुरक्षित ठिकाने के रूप में भी सामना आया था। मुंबई ब्लास्ट में इंडियन मुजाहिद्दीन के दो आरोपियों को वर्ष 2010 में अहमद नगर से गिरफ्तार किया गया था। ये आरोपी किराए का मकान लेकर अपनी पहचान छिपाकर रह रहे थे।

ये भी पढ़ें

image