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साइकिल में खेल, एक शून्य बढ़ाया, लाख को कर दिया करोड़

आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज त्रिपाठी ने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत लोकायुक्त में मामला दर्ज कराने आवेदन दिया है।

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भोपाल

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Juhi Mishra

Aug 30, 2017

Bicycling Sharing in Bhopal

Bicycling Sharing in Bhopal

भोपाल। भोपाल में पब्लिक बाइक शेयरिंग (पीबीएस) के तहत किराए से साइकिल चलवाने के लिए हुए टेंडर में एक शून्य से बड़ा खेल किया गया। लाख का टेंडर करोड़ में बदलकर ठेका लेने वाली कंपनी को पौने तीन करोड़ रुपए से भी अधिक का लाभ पहुंचाया गया।

दरअसल, अहमदाबाद की जिस चार्टर्ड स्पीड प्राइवेट लिमिटेड को यह काम मिला है, उसने टेंडर में इस पब्लिक बाइक शेयरिंग सिस्टम को स्थापित करने के लिए ऑनलाइन फायनेंशियल बिड में 2.95 लाख रुपए की दर भरी थी। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन ने ऑनलाइन बिड में एक शून्य जोड़ा और लागत 2.95 करोड़ रुपए कर दी। पत्रिका के पास इस पूरी कवायद के दस्तावेज मौजूद हैं।

कारपोरेशन के अफसरों ने इसमें तर्क दिया गया कि इस काम के लिए आधार लागत तीन करोड़ रुपए तय की थी और संबंधित कंपनी की टाइपिंग मिस्टेक हो गई थी, इसलिए शून्य बढ़ाई। ऐसे में पब्लिक बाइक शेयरिंग का काम लेने वाली चार्टर्ड स्पीड लिमिटेड को करीब पौने तीन करोड़ रुपए का लाभ पहुंचाया गया है।

इस मामले की शिकायत लोकायुक्त में हो चुकी है। आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज त्रिपाठी ने इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत लोकायुक्त में मामला दर्ज कराने आवेदन दिया है।

पीबीएस एक नजर
10 करोड़ रुपए का प्रावधान है वर्ष 2015-16 के बजट में
03 करोड़ रुपए की आरपीएफ निर्धारित की गई थी
24 जुलाई 2015 को खोली गई थी ऑनलाइन निविदा
03 निविदाकारों ने खरीदी थी निविदाएं
02 निविदाकार ने जमा किए थे तकनीकी दस्तावेज
2.94 करोड़ रुपए की दर दी थी सायकिल स्पोट्र्स एलएलपी ने
2.95 लाख की दर दी थी चार्टर्ड स्पीड प्राइवेट लिमिटेड ने

गलती को सुधरवाया
त्रिपाठी का कहना है कि यदि कंपनी ने कम दर भरी थी तो फिर से टेंडर प्रक्रिया कर उसे दुरुस्त किया जा सकता था। हालांकि, कारपोरेशन के सीईओ चंद्रमौलि शुक्ला का कहना है कि इस मामले में भ्रष्टाचार जैसी कोई बात नहीं है। छोटी सीे गलती थी, जिसे सुधरवा लिया गया।
अंक के साथ अक्षर में गलती कैसे?

पीबीएस की टेंडरिंग में चार्टर्ड स्पीड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अंकों के साथ शब्दों में भी लाख में ही संख्या भरी। पत्रिका के पास इसकी सत्यापित प्रति है, जिसमें अंकों में भी लाख है और शब्दों में भी लाख ही दर्ज किया गया है।