नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग को रिपोर्ट मिली है कि युवाओं का प्रशिक्षण स्थल दूर होने से वे समय पर निकायों में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं। इससे उनके प्रतिदिन मानदेय का नुकसान हो रहा है क्योंकि योजना की शर्त के अनुसार 75 प्रतिशत प्रशिक्षण केन्द्रों और 35 प्रतिशत निकायों में युवाओं की उपस्थिति होना अनिवार्य है। ऐसे में ऑनलाइन उपस्थिति देरी से दर्ज होने पर उनकी उपस्थिति कम दर्ज हो पा रही है। इसके अलावा इस योजना को अभी तीन विभाग मिलकर संचालित कर रहे हैं।
इन तीनों विभागों में आपसी तालमेल के अभाव के कारण भी युवाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। युवा स्वाभिमान योजना को सरल और सहज बनाने के लिए सरकार योजना में बदलाव कर रही है।
इसके चलते अब इन तीनों विभागों में से किसी एक विभाग इस योजना की कमान देने पर भी विचार किया जा रहा है। बताया जाता है कि कौशल विभाग के पास विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों में विभिन्न ट्रेडों के कुल 22 हजार पद हैं, जिसमें से 17 पद भर चुके हैं।
क्या है मुख्यमंत्री युवा स्वाभिमान योजना
मुख्यमंत्री युवा स्वाभिमान योजना की शुरुआत तीन माह पहले ही सरकार ने की है। ग्रामीण इलाकों में गरीबों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिये चल रही मनरेगा योजना की तर्ज पर शहरी बेरोजगार युवाओं के लिये यह योजना शुरू की गई है।
यह देश में अपनी किस्म की पहली योजना है, जो शहरी बेरोजगार युवक-युवतियों को साल में 100 दिन का रोजगार सुनिश्चित करती है। योजना में 21 से 30 वर्ष आयु समूह के वे शहरी नौजवान लाभान्वित होंगे, जिनके परिवार की वार्षिक आय 2 लाख रुपए से कम हो। इन्हें 100 दिन में 4,000 रुपए महीने के हिसाब से कुल 13,500 रुपए मानदेय भी मिलेगा।