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भाजपा के सांसद का टिकट कटा, पार्टी लाइन से हटकर बोले बड़ी बात

locationभोपालPublished: Mar 26, 2019 08:41:22 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

उम्रदराज नेता बाबूलाल गौर, ज्ञान सिंह और लक्ष्मीनारायण यादव अब टिकट की चाह में, नहीं छूट रहा बुजुर्गों का मोह
 

Gyan Singh

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भोपाल . भाजपा के उम्रदराज नेताओं का राजनीति से मोह नहीं छूट रहा है और यही वजह है कि टिकट न मिलने को लेकर सीधे नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। अब शहडोल भाजपा सांसद ज्ञान सिंह ने टिकट कटने के बाद अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने साफ कर दिया है कि वह भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री के लिए प्रचार नहीं करेंगे, बल्कि खुद निर्दलीय पर्चा दाखिल करेंगे। हालांकि ज्ञान सिंह हमेशा पार्टी के भीतर दबाव बनाकर राजनीति करने वाले नेताओं में माने जाते हैं।
दरअसल, भाजपा ने अभी तक जारी किए अपने 15 उम्मीदवारों में 5 सांसदों के टिकट काटे हैं, जिनमें एक नाम ज्ञान सिंह का भी है। ज्ञान सिंह दो साल पहले उपचुनाव में जीतकर सांसद बने थे। उससे पहले वह प्रदेश सरकार में काबीना मंत्री थे। उस समय में भी उन्होंने दबाव की राजनीति की थी। उन्होंने पार्टी को साफ किया था कि वह सांसद का चुनाव तभी लड़ेंगे जब उनकी विधानसभा सीट से बेटे को उम्मीदवार बनाया जाएगा और उनकी जगह पर उसे मंत्री भी बनाया जाएगा। पार्टी ने एक ही बात मानी और उनके बेटे को उम्मीदवार बनाया और वह जीत भी गया और 2018 में हुए दोबारा चुनाव में भी वह जीतने में कामयाब रहा। हालांकि अबकी बार भाजपा ने सीधे ज्ञान सिंह का ही टिकट काट दिया।
उनकी जगह पर टिकट हिमाद्री सिंह को दिया है। हिमाद्री पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी थीं और उन्होंने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी। उसके बाद वह एक बार फिर कांग्रेस की अघोषित प्रत्याशी थीं, लेकिन उनके भाजपाई विधायक पति ने आखिर में उन्हें भाजपा में शामिल करा लिया और पार्टी का उम्मीदवार भी घोषित करा लिया।
हिमाद्री के पिता और माता दोनों शहडोल से सांसद रहे हैं और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। ऐसे में हिमाद्री इस इलाके में मजबूत चेहरा हैं और ज्ञान सिंह को लेकर भाजपा के भीतर ही सवाल खड़े हो रहे थे। ऐसे में पहले ही साफ हो चुका था कि उनका टिकट काटा जाएगा। लेकिन बावजूद इसके जब आज हिमाद्री उनसे मिलने के लिए घर पहुंची तो उन्होंने मिलने से इनकार कर दिया और ऐलान कर दिया कि वह हिमाद्री का प्रचार नहीं करेंगे, बल्कि उसके खिलाफ निर्दलीय पर्चा दाखिल करेंगे। हालांकि भाजपा के भीतर लोग इसे उनकी दबाव की राजनीति बता रहे हैं। वह चाहते हैं कि पार्टी उन्हें मनाने के नाम पर कुछ सौदा करे। हालांकि पार्टी इसके लिए तैयार नहीं है।
आदिवासी नेताओं के यूज एण्ड थ्रो का काम करती है भाजपा
ज्ञान सिंह का आरोप है कि मन की बात कहने वाले नेता मन की बात सुनने को तैयार नहीं है। जब मैंने चुनाव लडऩे के लिए मना किया तो मुझे जबरदस्ती चुनाव लड़ाया गया था। आज मैं अंतिम बार चुनाव लडऩे की इच्छा जाहिर किया तो मेरी टिकट ही काट दी गई। मुझे तो ऐसा लग रहा है कि पार्टी आदिवासी नेताओं को यूज एण्ड थ्रो का काम करती है। ज्ञान सिंह ने स्पष्ट कहा कि भारतीय जनता पार्टी में ईमानदार आदिवासी नेताओं का शोषण किया जाता है। 1996 के चुनाव मे जब प्रदेश एवं देश में कांग्रेस की सरकार थी तो विधायक रहते हुए उन्हें शहडोल लोक सभा का चुनाव लड़ाया गया था और वे पार्टी को जीत दिलाने में सफल साबित हुए थे। इसी तरह भाजपा के 13 दिन और 18 माह की सरकार में भी वे सांसद रहे। ज्ञान सिंह ने कि देश एवं प्रदेश में भाजपा केवल चापलूस एवं पैसे वालों को महत्व देती है, ईमानदारी कोई मायने नही रखती
गौर अब और नहीं
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं लेकिन पार्टी ने उन्हें साफ कर दिया है कि गौर अब और नहीं। उन्हें स्पष्ट संकेत और समझाइश मिलने के बाद उन्होंने खामोशी अख्तियार कर ली है। हालांकि दूसरी ओर सागर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वहीं, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मोर्चा खोल रखा है। उन्होंने कहा है कि मध्यप्रदेश में किसी भी परिवार के भीतर टिकट नहीं दिया जाएगा। अगर दिया गया तो फिर उनके बेटे को सबसे पहले दिया जाए। इसके बाद कई लोगों के टिकटों पर संकट के बादल हैं। इनमें खुद कैलाश विजयवर्गीय, लक्ष्मीनारायण यादव समेत कई बड़े नेता शामिल हैं।
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